जयपुर :साल 2024 जाने को है और 2025 के स्वागत की तैयारी हो रही है. ऐसे में सभी इस साल के आकलन में लगे हैं कि ये साल कैसा रहा. प्रदेश में बनी नई भजनलाल सरकार के लिहाज से बात करें, तो ये साल सियासी तालमेल के साथ-साथ ब्यूरोक्रेसी की उठापटक वाला रहा है. सीएम भजनलाल ने ब्यूरोक्रेसी में बदलाव को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी. इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि साल 2024 की शुरुआत से लेकर अब तक 50 से ज्यादा तबादलों की सूचियां जारी हुई और 2100 से अधिक ब्यूरोक्रेट्स के तबादले किए. इन ब्यूरोक्रेट्स में आईएएस-आईपीएस, आरएएस और आईएफएस अधिकारी शामिल रहे. वहीं, इसमें सबसे अधिक संख्या आरएएस अफसरों की रही. करीब 1500 से अधिक आरएएस अफसरों के तबादले किए गए. हालांकि, टॉप ब्यूरोक्रेसी में पूर्ववर्ती सरकार के लगे अफसरों पर मौजूदा सरकार ने भरोसा जताया और पूरी परंपराओं को बदलने का काम किया.
1500 से अधिक RAS के हुए तबादले : बीते साल 15 दिसंबर को भजनलाल शर्मा ने जयपुर के ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सीएम पद की शपथ ली थी. उसके बाद सीएम ने नौकरशाहों की सर्जरी शुरू की, यानी सूचियां जारी कर उनके तबादले किए गए. इसमें सबसे अधिक उठापटक राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की हुई, जिसमें सरकार ने अब तक 1500 से अधिक आरएएस अधिकारियों के तबादले किए. वैसे तो एसडीओ, एसडीएम विधायकों की पसंद से लगाए जाते हैं, लेकिन इस बार नई सरकार ने विधायकों की पसंद पर विशेष ध्यान नहीं दिया और कार्य प्रणाली के आधार पर बदलाव किए गए.
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पूर्ववर्ती सरकार में लगे 1500 से ज्यादा RAS अधिकारियों को इस एक साल में 18 से ज्यादा तबादला सूचियों के जरिए बदला गया. आरएएस अफसरों की जब भी तबादला सूची आई, वो ज्यादातर जम्बों सूची ही आई. इसमें पहली सूची 11 जनवरी को आई, जिसमें 121 आरएएस अधिकारीयों के तबादले किए गए. उसके बाद छोटी सूचियों को छोड़ दें, तो 22 फरवरी को 396 आरएएस अफसरों की तबदला सूची ने पूरी तरह उथल पुथल कर दिया. फिर 9 सितंबर को 386, 23 सितंबर को 183, 7 अक्टूबर को 83 और 12 नवंबर को 48 आरएएस अफसरों की तबदला सूची जारी हुई.
नहीं बदले गए टॉप आईएएस/आईएफएस अधिकारी : राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि बड़े पैमाने पर आईएएस अफसरों के तबादले होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. भजनलाल सरकार ने सीनियर आईएएस अधिकारीयों में ज्यादा बदलाव नहीं किया. उल्टा उन पर अधिक भरोसा जताया और उन्हें महत्वपूर्व पदों पर बनाए रखा. हालांकि, सरकार के इस निर्णय पर विपक्ष ने सवाल भी उठाया.