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तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें विधि-महत्व और मंत्र - Maa Chandraghanta puja

Shardiya Navratri 3nd Day 2024: शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. जानिए मां चंद्रघंटा की पूजा विधि व मुहूर्त...

By ETV Bharat Delhi Team

Published : 4 hours ago

Updated : 1 hours ago

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा (Etv Bharat)

नई दिल्ली/गाजियाबाद: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी और तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. शनिवार, 5 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां चंद्रघंटा की पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है और भय से मुक्ति मिलती है.

पूजा विधि: शारदीय नवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि के पश्चात साफ सुथरे वस्त्र धारण करें. घर के मंदिर की साफ सफाई करें. पूजा के स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें. मां चंद्रघंटा की मूर्ति की स्थापना करें. मां के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करें. पुष्प, धूप, दीप, नवैद्य आदि मां को चढ़ाएं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां चंद्रघंटा को खीर बेहद प्रिय है. मां को केसर और साबूदाने की खीर का भोग लगाएं. पूजा के पश्चात परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरण करें. विधि विधान से मां चंद्रघंटा की पूजा करें और पूजा के दौरान मां चंद्रघंटा के मित्रों का जाप और आरती करें. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. यदि किसी कारणवश ऐसा नहीं कर सकते हैं तो दुर्गा चालीसा का पाठ करें.

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा (etv bharat)

माता चंद्रघंटा का पूजन मंत्र:मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय इन मंत्रों का जाप करें. मां चंद्रघंटा की विधि विधान से पूजा करने से भक्ति को आर्थिक और सांसारिक दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है.

पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।

मां चंद्रघंटा की आरती:

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे काम।।
चंद्र समान तू शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।।
क्रोध को शांत बनाने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय।।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।।
कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।।
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।।

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