इंदौर। दुनिया भर में जैव विविधता को सहेजने के लिए अब विभिन्न राज्यों में मौजूद करीब 80 वेटलैंड साइट को रामसर के रूप में घोषित किए जाने के बाद अब विभिन्न वेटलैंड को भी रामसर साइट का दर्जा दिलाने के प्रयास हो रहे हैं. विश्व वेटलैंड दिवस पर राज्य की मोहन सरकार ने प्रदेश भर में मौजूद वेटलैंड साइट को सहेजने का फैसला किया है, जिससे कि उन्हें भी रामसर का दर्जा मिल सके. इंदौर में विश्व वेटलैंड दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह की मेजबानी करते हुए मुख्यमंत्री ने तालाबों और जल स्रोतों का संरक्षण के लिए जन भागीदारी से अभियान चलाने के भी निर्देश दिए हैं.
तालाबों को बचाने की पहल
दरअसल, 1975 में यूनेस्को द्वारा हुए अंतरराष्ट्रीय आद्र भूमि संधि के तहत ऐसी वेटलैंड सहेजी जा रही हैं, जिनका पर्यावरण, इकोसिस्टम और जलीय जीव जंतुओं के लिहाज से खास महत्व है. यही वजह है कि वेटलैंड और तालाबों को बचाने के लिहाज से इस संधि के तहत वेटलैंड को सहजने की दिशा में हर साल विश्व वेटलैंड दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष यह कार्यक्रम इंदौर शहर में आयोजित हुआ. जिसमें मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपने मुख्य संबोधन में जन भागीदारी के तहत प्रदेश की वेटलैंड इकाइयों को बचाने और सहेजने की जरूरत बताई.
भारत में जीव जंतु, नदियों को पूजा जाता है
इंदौर की सिरपुर रामसर साइट पर आयोजित भव्य समारोह में सीएम मोहन यादव ने देशभर के करीब ढाई सौ रामसर साइट के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा ''इंदौर के तालाबों के साथ-साथ प्रदेश के अन्य वेटलैंड क्षेत्र को भी रामसर साइट के रूप में घोषित करने के प्रयास होंगे. विश्व में सिर्फ भारत देश ऐसा है जहां जीव जंतु, नदी, पहाड़, पर्वत को ईश्वर के रूप में पूजा गया है.'' उन्होंने कहा ''पौधों में जीवन होने के तत्व को भी भारतीय वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना ने प्रतिपादित किया था. क्योंकि पेड़ पौधों में प्राण होने का विश्वास भारतीय मानस में सांस्कृतिक रूप से रचा बसा है, जो हमारी परंपरा है. Indore Sirpur Ramsar Site