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उत्तराखंड में बसता है कीट पतंगों का संसार, इको सिस्टम में निभाते हैं अहम भूमिका - Moths SPECIES IN UTTARAKHAND

Uttarakhand Moths species तेजी से बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंक ने हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में कई बदलाव दिख रहे हैं. जिसका असर कीट पतंगों पर भी देखने को मिल रहा है. पहले आसानी से दिखने वाले कीट पतंग अब कम ही दिखाई देते हैं. हमारे इको सिस्टम में इनकी भूमिका काफी अहम होती है.

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 2, 2024, 1:10 PM IST

Many species of moth are found in Uttarakhand
उत्तराखंड में कीट पतंगों की पाई जाती हैं कई प्रजातियां (Photo-ETV Bharat)

देहरादून:उत्तराखंड अपनी जैव विविधता के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है. जहां कई वनस्पति, जीव जंतुओं के साथ ही कीट पतंगों की प्रजातियां पाई जाती है. जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए काफी जरूरी है. बात पतंगों की करें तो उत्तराखंड में ही करीब एक हजार प्रकार की प्रजातियां इनकी पाई जाती हैं. वहीं पूरे विश्व में पतंगों की करीब 1 लाख 40 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं.

पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करते हैं पतंगे (Photo-ETV Bharat)

कुदरत के सबसे बड़े संकेतक: पतंगों की प्रजाति को आमतौर पर शोधकर्ता तितलियों के रिश्तेदार के रूप में जानते हैं. कई बार शोधकर्ता इन्हें तितलियों का "गरीब चचेरे भाई" भी कह देते हैं. वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक वीपी उनियाल बताते हैं कि रात में चमत्कार दिखाने वाले यह पतंगे हमारी कुदरत के सबसे बड़े संकेतक हैं. मौसम, प्रदूषण और बायोडायवर्सिटी की सबसे बड़े इन इंडिकेटर का हमारे इको सिस्टम में बहुत बड़ी भूमिका है.

उत्तराखंड में कीट पतंगों का संसार (Photo-ETV Bharat)

शोधकर्ता रहते हैं उत्साहित:वैज्ञानिकों के अनुसार इन पतंगों की भूमिका को लेकर के अक्सर लोग अंजान रहते हैं, लेकिन शोधकर्ता इनको लेकर के बेहद उत्साहित रहते हैं. मानव समाज की इकोनॉमी में पतंगों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है. इनके दूर के रिश्तेदारों तितली और मधुमक्खियों की तरह यह भी पोलिनेटर के अलावा रेशम इत्यादि उत्पादन में प्रत्यक्ष भूमिका निभाते हैं.

पतंगे इको सिस्टम में निभाते हैं अहम भूमिका (Photo-ETV Bharat)

उत्तराखंड में पतंगों की प्रजातियां:पिछले दिनों देहरादून में भी नेशनल मौथ वीक के मौके पर तमाम कार्यक्रम आयोजित किए गए. इसमें कार्यशालाएं और शाम के समय मौथ कलेक्शन को लेकर के प्रोग्राम आयोजित किए गए. कीट वैज्ञानिक वीपी उनियाल ने बताया कि पूरी दुनिया में इस वक्त मौथ की 1 लाख 40 हजार प्रजातियां मौजूद हैं, जिसमें भारत देश में तकरीबन 14 हजार से ज्यादा और हिमालय क्षेत्र में 5 हजार मौथ प्रजातियां की गणना की गई है. वहीं उत्तराखंड राज्य में अब तक करीब एक हजार प्रजातियों की खोज की जा चुकी है.

एलिवेशन के साथ कम्युनिटी में बदलाव:मौथ पर पीएचडी कर रही छात्रा शबनम कुमारी ने बताया कि वह खास तौर से हिमालय राज्यों में खास किस्म की मौथ पर शोध कर रही हैं जो विशेष तौर पर हिमाचल लाहौल एवं स्पीति वेली और धौलाधार रेंज में पाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि यह एलिवेशन के साथ-साथ अपनी कम्युनिटी भी बदलते हैं. साथ ही वो इस तरह के मौथ पर भी रिसर्च कर रही हैं जो एक खास तरह के ऊंचाई वाले इलाकों पर पाए जाते हैं.

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