जयपुर.आज 17 मई है. आज के दिन को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे के रूप में मनाया जाता है. इसे मनाने का मकसद लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है. हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर के रूप में भी जाना जाता है और चिकित्सकों की मानें तो तकरीबन 30 फीसदी आबादी इस बीमारी से पीड़ित है. इस बीमारी को हाई बीपी के रूप में भी जाना जाता है और इस बीमारी के लक्षण छोटी उम्र में भी दिखाई देने लगे हैं. समय पर यदि इस बीमारी का इलाज नहीं किया गया तो किडनी डैमेज से लेकर हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण मरीज की जान भी जा सकती है.
उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व उच्च रक्तचाप दिवस की शुरुआत की गई थी. सवाई मानसिंह अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक व मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज शर्मा ने बताया कि बदलती लाइफस्टाइल के कारण हाइपरटेंशन लोगों को अपना शिकार बना रही है.
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30 फीसदी मरीज पीड़ित : डॉ. शर्मा का कहना है कि लगभग 30 फीसदी आबादी हाइपरटेंशन का शिकार है. इसके साथ ही कुछ फीसदी आबादी ऐसी भी हैं, जिन्हें पता ही नहीं है कि वो इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं और जिन मरीजों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती उनमें रिस्क फैक्टर सबसे अधिक होता है. सवाई मानसिंह अस्पताल में आने वाले हर पांचवें मरीज में बीपी की समस्या देखने को मिल रही है. डॉ. शर्मा का कहना है कि पहले यह बीमारी 50 साल की उम्र के बाद देखने को मिलती थी, लेकिन अब छोटी उम्र में भी हाईपरटेंशन लोगों को अपना शिकार बना रहा है.