अलीगढ़ :विश्व यूनानी दिवस हर साल 11 फरवरी को महान यूनानी विद्वान और समाज सुधारक हकीम अजमल खान की जयंती पर मनाया जाता है. यूनानी चिकित्सा एक बहुत पुरानी चिकित्सा प्रणाली है. इसकी मदद से कई गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है. विश्व यूनानी दिवस के मौके पर अजमल खां तिब्बिया काॅलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर बदरुद्दुजा खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
उन्होंने बताया कि अंग्रेजी दवाओं के मुकाबले यूनानी दवाओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है. मौजूदा सरकार ने खास तौर से यूनानी सिस्टम ऑफ मेडिसिन और आयुर्वेदिक सिस्टम ऑफ मेडिसिन को आयुष मंत्रालय के तहत बहुत बढ़ावा दिया है. सरकार लगातार इसको बढ़ावा दे रही है. उन्होंने बताया कि अलीगढ़ दवाखाना तिब्बिया कॉलेज में करीब 350 प्रकार की यूनानी दवाएं बनती हैं.
विश्व यूनानी दिवस के अवसर पर अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. बदरुद्दूजा खान ने बताया कि हकीम अजमल खान की जन्म तिथि को केंद्र सरकार ने विश्व यूनानी दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया था. हकीम अजमल खान का गहरा ताल्लुक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया से रहा है. उनके नाम से अलीगढ़ में कॉलेज, अस्पताल और दवाखाना मौजूद है. उन्होंने बताया कि विश्व यूनानी दिवस के मौके पर आज विज्ञान भवन में एक बड़ा आयोजन किया जा रहा है.
प्रिंसिपल ने बताया कि अजमल खान तिब्बिया कॉलेज में अंडर ग्रेजुएट के लिए 60 और पोस्ट ग्रेजुएट के लिए कुल 11 ब्रांचों में 42 सीट हैं. इनमें प्रवेश करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है, क्योंकि इन कोर्सेज में सेल्फ एंप्लॉयमेंट हैं. सरकार स्टाइपेंड की शक्ल में छात्रों को पैसा भी देती है और हमारे यहां बहुत अच्छी प्रैक्टिस होती है, इसलिए इस कोर्स को अहमियत दी जा रही है. उन्होंने बताया कि अंग्रेजी दवाइयों के मुकाबले में यूनानी दवाओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है. मौजूदा सरकार खास तौर से यूनानी सिस्टम ऑफ मेडिसिन और आयुर्वेदिक सिस्टम ऑफ मेडिसिन आयुष मंत्रालय के तहत बहुत बढ़ावा दिया है और हुकूमत लगातार इसको बढ़ावा दे रही है.
दवाखाना दिव्या कॉलेज के जनरल मैनेजर मोहम्मद शारिक आजम ने बताया कि कोरोना के बाद से एलोपैथी की दवाइयों के मुकाबले लोगों का यूनानी दवाइयों की तरफ रुझान बढ़ा है, इसलिए हिंदुस्तान में यूनानी दवाइयों को बनाने वाली कंपनियां भी बढ़ी हैं और दवाइयों की मांग भी बढ़ रही है, इसलिए हमारे द्वारा बनाई जा रही दवाइयों की मांग भी बढ़ रही है. हमारे यहां लगभग 350 प्रकार की दवाइयां बनाई जाती हैं जो अलग-अलग बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं.