नई दिल्ली:भारत सरकार के प्रयासों से मोटे अनाज (मिलेट्स) का सेवन बढ़ रहा है. किसान भी मोटा अनाज उत्पादित कर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. अब मिलेट्स का छिलका भी प्रयोग में लाया जा रहा है. इसे फेंकने की जरूरत नहीं है. मार्केट में मिलेट्स के बचे छिलके से साबुन तक बन रहे हैं.
प्राकृतिक स्क्रब का काम करता है मिलेट्स साबुन:भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में में राजस्थान से आए राहुल शर्मा ने बताया कि हम मिलेट्स के बहुत सारे प्रोडक्ट बनाते हैं. इसमें सबसे इनोवेटिव मिलेट्स के साबुन हैं. मिलेट्स से बनने वाले खाद्य वस्तुओं में जो कचरा या छिलका बच जाता है, उसके इस्तेमाल से साबुन बनाते हैं. ये शरीर को स्क्रब करने में मदद करता है. प्लास्टिक के स्क्रबर की जरूरत नहीं है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. मिलेट्स का साबुन प्राकृतिक है, लिहाजा डिमांड में है.
किसान ने बनाया केमिकल फ्री साबुन (ETV Bharat) साबुन बनाने के लिए आम, केले, खीरे का इस्तेमाल:राहुल शर्मा ने बताया कि, वे बाजार के किसी भी रिफाइंड तेल का इस्तेमाल नहीं करते. कश्मीर से आने वाले मामरा बादाम का तेल प्रयोग में लाते हैं. उन्होंने बताया कि नारियल और तिल के तेल का भी प्रयोग करते हैं. इसकी लागत 175 रुपये प्रति 130 ग्राम है. इसमें कोई केमिकल नहीं है. केमिकल फ्री पदार्थ बनाने की हमारी मुहिम है. साबुन में आम, केले, खीरा, गाजर का रस भी यूज हुआ है. सिर्फ फल और सब्जियां खाई ही नहीं जाती, ये लगाई भी जाती है.
बता दें कि भारत मंडपम में भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने वर्ल्ड फूड इंडिया आयोजित किया है. ये 19 से 22 सितंबर तक चलेगा. यहां केंद्र और राज्य सरकार द्वारा सहायता प्रदान कराए गए उद्यमियों समेत तमाम कंपनियों के स्टॉल लगे हैं.
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