नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतरे आइसा और एसएफआई ने शनिवार को अपना संयुक्त घोषणा पत्र जारी कर दी. आइसा-एसएफआई के प्रत्याशियों ने प्रेस वार्ता में कहा कि यह घोषणापत्र डीयू में पढ़ रहे छात्रों की आकांक्षाओं और जरूरतों को एक साथ लाता है. यह घोषणापत्र सस्ती शिक्षा, महिलाओं के लिए एक सुरक्षित परिसर और सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण को दर्शाता है.
आइसा के राष्ट्रीय महासचिव प्रसनजीत कुमार ने कहा कि आइसा-एसएफआई ने घोषणापत्र में विश्वविद्यालय को बेहतर बनाने के स्तर पर मुद्दों को शामिल किया है, जैसे कि निरंतर शुल्क वृद्धि, हर कॉलेज में लोकतांत्रिक, आईसीसी के कामकाज की आवश्यकता, नए छात्रावासों का निर्माण, किराया नियंत्रण अधिनियम और एसईसी के नाम पर मुख्य पाठ्यक्रम को खराब करने की योजना को खत्म करना.
इसके अलावा विश्वविद्यालयों के रखरखाव, दैनिक कामकाज और परिसर में छात्र जीवन के सुधार से संबंधित अन्य मुद्दों को भी घोषणा पत्र में शामिल किया है. अध्यक्ष पद की प्रत्याशी सावी ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में लैंगिक न्याय और महिला सुरक्षा को लेकर अभी कोई पहल नहीं है. आरजी कर से लेकर डीयू तक आज भी महिलाओं को लगातार हिंसा सहनी पड़ रही है. महिला उत्पीड़न के खिलाफ आवाज को और तेज करने की जरूरत है.
सावी ने कहा कि हम डूसू के इस चुनाव में छात्र-छात्राओं से ये अपील करते हैं कि वे धनबल और बाहुबल को आईना दिखाते हुए इस बार आइसा और एसएफआई के पैनल को चुनें. एक सरकारी डूसू की जगह क्रांतिकारी डूसू का चुनाव करने से हम उनके मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करेंगे.
आइसा-एसएफआई के घोषणा पत्र के प्रमुख वायदे:
- महिला उत्पीड़न की रोकथाम के लिए आईसीसी का गठन कराना
- आईसीसी के पैनल में महिलाओं को भी जगह दिलाना
- सभी छात्र-छात्राओं के लिए सार्वजनिक शिक्षा मॉडल
- लगातार फीस वृद्धि, पाठ्यक्रम में कमी को ठीक कराना
- विश्वविद्यालय परिसरों में गुंडागर्दी, विभाजन, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई
- दिल्ली विश्वविद्यालय के अंदर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना
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