रतलाम। आपने वह कहावत तो सुनी ही होगी, आम के आम गुठलियों के भी दाम. यहां भी आम की गुठली बड़े काम की है. रतलाम के पत्रकार एक अनोखी मुहिम चलाकर पर्यावरण की रक्षा में सहयोग कर रहे हैं. रतलाम के यह दोनों पत्रकार घर में आम खाने के बाद गुठली को फेंकते नहीं बल्कि उसे सहेज कर आम के पौधे तैयार करते है. पौधे बड़े हो जाने पर उन्हें अपने मित्रों और पर्यावरण प्रेमियों को भेंट कर देते हैं. रतलाम के सुधीर जैन और राजेंद्र केलवा अपने घर पर आम की गुठली को फेंकते नहीं हैं. गुठली को संभाल कर रखने के बाद वह आम के पौधे की नर्सरी तैयार करने से लेकर उसे बड़ा पेड़ बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं.
गुठलियों से आम के पौधे तैयार
सुधीर जैन ने बताया कि 'गुठलियों से आम के पौधे तैयार करने का आइडिया उन्हें अपने गृह क्षेत्र मुलताई से मिला. जहां लोग आम की गुठलियों को संभाल कर रखते हैं और बारिश के समय सड़क के दोनों तरफ आम की गुठली लगाते हैं. वह घर पर आम की गुठलियों को अच्छे से साफ कर उन्हें सुखाकर रख लेते थे. इसके बाद पॉली बैग में मिट्टी भर कर उसमें गुठलियों की चौपाई कर देते थे. थोड़े ही दिनों में आम के पौधे तैयार हो जाते हैं. कुछ दिन घर पर ही देख रेख करने के बाद घर पर ही तैयार हुए इन आम के पौधों को सुधीर जैन अपने मित्रों और पर्यावरण प्रेमियों को अपनी खाली पड़ी जगह और खेत पर लगाने के लिए देते हैं.
रतलाम के पत्रकारों की अनूठी पहल
राजेंद्र केलवा भी गर्मियों में आम की गुठलियों को इकट्ठा कर रख लेते हैं. फिर उन्हें खाली पड़े छोटे-मोटे डिब्बे और गमले में लगा देते है. आम के पौधे बड़े हो जाने पर राजेंद्र केलवा इसे बगीचों और खाली पड़े सुरक्षित स्थानों पर लगाते हैं. इन दोनों ही पर्यावरण प्रेमियों ने बिना किसी टीम के अकेले ही सैकड़ों आम के पौधे तैयार कर दए हैं. जिसमें से कई पौधे अब वृक्ष का रूप लेने लगे हैं और आने वाले समय में लोगों को शुद्ध हवा, छाया और फल भी देने लगेंगे. पर्यावरण की रक्षा के लिए लोग तरह-तरह के आयोजन और प्रयास करते हैं. रतलाम के ही दोनों पत्रकार भी एक अनूठी मुहिम चलाकर लोगों को पर्यावरण बचाने की प्रेरणा दे रहे हैं. इनसे प्रभावित होकर अब इनके मित्र भी आम की गुठली को फेंकते नहीं हैं, बल्कि उसे एक पौधा तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं.