शिमला: हिमाचल प्रदेश में मधुमेह के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड से भी ज्यादा हालत हिमाचल प्रदेश में खराब है. इसका कारण खराब खान पान व दिनचर्या है. द राष्ट्रीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर-इंडियाब क्रॉस सेक्शनल अध्ययन में इसका खुलासा किया गया है. इस अध्ययन परियोजना में आईजीएमसी शिमला के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र कुमार मोक्टा प्रधान अन्वेषक रहे हैं.
हिमाचल में डायबिटीज के मरीज
इस अध्ययन के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 100 लोगों में से 13.5 फीसदी लोग डायबिटीज की चपेट में है. 18.7 फीसदी प्री डायबिटिक हैं. इसी अनुपात के अनुसार हरियाणा में 12.4 फीसदी लोगों को डायबिटीज और 18.2 फीसदी प्री-डायबिटिक हैं. पंजाब में 12.7 फीसदी लोगों में डायबिटीज और 8.7 फीसदी प्री-डायबिटिक हैं. उत्तराखंड में 11.1 फीसदी लोगों को डायबिटीज है और 13.4 प्री-डायबिटिक हैं. हिमाचल प्रदेश में 35.5 फीसदी लोगों में हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप की बीमारी है. 38.7 फीसदी लोगों में सामान्य मोटापा है. हरियाणा की बात करें तो 31.1 फीसदी लोगों में हाइपरटेंशन और 39.6 फीसदी लोगों में मोटापा है. पंजाब में 51.8 फीसदी लोगों में हाइपरटेंशन और 43.8 फीसदी लोगों में मोटापा है. इसी तरह से उत्तराखंड में 38.4 फीसदी लोगों को हाइपरटेंशन है और 43.8 प्रतिशत लोगों में मोटापे की समस्या है.
राज्य | डायबिटीज के मरीज (प्रतिशत में) | प्री-डायबिटिक मरीज (प्रतिशत में) |
हिमाचल | 13.5 | 18.7 |
हरियाणा | 12.4 | 18.2 |
पंजाब | 12.7 | 8.7 |
उत्तराखंड | 11.1 | 13.4 |
क्यों बढ़ रहा डायबिटीज का खतरा ?
डॉ. जितेंद्र कुमार मोक्टा ने बताया, "वर्ष 1995 तक मधुमेह के काफी कम मामले होते थे. घर में तकनीक के आ जाने के बाद लोग अब कामकाज नहीं कर रहे हैं. श्रमिकों का स्थान मशीनों ने ले लिया है. खानपान सही नहीं है और न ही उचित समय पर किया जाता है. आज की दुनिया में इतनी व्यस्तता हो गई है कि सुबह का नाश्ता और लंच के अलावा डिनर ज्यादा मात्रा में हो रहा है. जबकि, ब्रेकफास्ट सबसे हैवी होना चाहिए. उसके बाद लंच और डिनर कम मात्रा में सात या आठ बजे से पहले होना चाहिए. तनाव भी इसका एक कारण है. हिमाचल सहित पूरे भारत की आनुवंशिकता भी डायबिटीज को बढ़ावा देती है. हाइपरटेंशन और मोटापे के लिए भी यह एक कारण है."