लखनऊ: क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड (CRISIL) की हालिया रिपोर्ट ने कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं. CRISIL की स्टडी के अनुसार महिलाएं अब सोना-चांदी खरीदने में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं ले रही हैं. उनमें निवेश की आदतों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है.
महिलाओं में फिक्स डिपॉजिट (FD) कराने का क्रेज कुछ ज्यादा बढ़ गया है. इसके साथ ही म्यूचुअल फंड्स लेने, घर खरीदने या शेयर मार्केट में पैसा निवेश करने में भी महिलाएं दिलचस्पी दिखा रही हैं, लेकिन ये FD से काफी कम है.
वैसे तो आज के समय में महिलाएं हर फील्ड में लगातार आगे बढ़ रही हैं. वह उन फील्ड में भी आगे बढ़कर नेतृत्व कर रही हैं जिन्हें अभी तक पूरी तरह से मेल डोमिनेटिंग फील्ड समझा जाता था. खास तौर पर कोरोना के बाद से महिलाओं ने इक्विटी और शेयर के क्षेत्र में काफी तेजी से किस्मत आजमाना शुरू किया है.
विशेष तौर पर कोरोना काल के बाद के समय की बात करें तो भारत में महिलाओं का निवेश और बाजार के प्रति रुझान में काफी बदलाव देखने को मिला है. आज स्टॉक एक्सचेंज की दुनिया में जहां पहले मेल डोमिनेटिंग देखी जाती थी. लेकिन, अब इस सेक्टर में महिलाओं की भी रुचि लगातार बढ़ती हुई दिख रही है.
विशेष तौर पर जहां 2016 से पहले केवल और 10% महिलाओं के पास ही डिमैट अकाउंट होता था, वह अब बढ़कर 27 परसेंट से भी अधिक हो गया है. आमतौर पर माना जाता है कि महिलाओं को शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश आदि करने पर ज्यादा भरोसा नहीं रहता.
लेकिन, अब ऐसा नहीं है. महिला वित्त मामले की समझ हमसे बेहतर रखती हैं. देश में कई बड़े-बड़े कॉर्पोरेट घरानों और बैंकों की जिम्मेदारी महिलाओं द्वारा संभाली जा रही है. अर्थ के मामलों के जानकार प्रोफेसर विशाल सक्सेना ने भी यही कहा है.
उनका कहना है कि इकोनॉमी के लगातार बढ़ने के लिए यह बहुत जरूरी है कि अब उस सिस्टम से बाहर आया जाए, जहां पर फैमिली को चलाने के लिए मेल के ऊपर डिपेंडेंसी होती थी. जैसे एक गाड़ी में दो पहिए होते हैं और वह गाड़ी को बराबर बनाकर चलते हैं.