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स्ट्रॉबेरी और मशरूम की खेती से जुड़कर घरेलू महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर, जानिए सालाना कितनी हो रही कमाई - STRAWBERRY AND MUSHROOM FARMING

पाकुड़ के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं स्ट्रॉबेरी और मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. खबर में पढ़िए कितनी हो रही सालाना कमाई.

Strawberry And Mushroom Farming
खेत में लगी स्ट्रॉबेरी, महिला किसान और मशरूम का उत्पादन. (कोलाज इमेज-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 4, 2025, 3:00 PM IST

Updated : Feb 4, 2025, 6:54 PM IST

पाकुड़:जिला उद्यान विभाग घरेलू महिलाओं को कृषि से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने का हर मुमकिन प्रयास कर रहा है. महिलाओं को विशेष ट्रेनिंग देकर विभाग मशरूम और स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए प्रेरित कर रहा है. खेती से जुड़कर एक ओर जहां महिलाओं की आमदनी दोगुनी हो रही है, वहीं दूसरी ओर उनका सशक्तिकरण भी हो रहा है. स्ट्रॉबेरी और मशरूम की खेती कर रही सैकड़ों ग्रामीण महिलाएं 35 से 40 हजार रुपये सालाना आमदनी कर रही हैं.

महिलाएं खेती कर बन रहीं आत्मनिर्भर

पाकुड़ जिले के देवपुर, मुर्गाडांगा, बेलडीहा, शिवलीडांगा, महारो, बरमसिया, धोवाडांगा, पियलसोला आदि कई गांवों की महिलाएं खुद तो मशरूम और स्ट्रॉबेरी की खेती कर ही रही हैं, साथ ही दूसरी महिलाओं को भी खेती के लिए जागरूक कर रही हैं. महिलाएं चौका-बर्तन करने के बाद फुर्सत के क्षणों में खेती कर रही हैं. घरेलू महिलाओं को कृषि से जोड़ने और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का काम किया जा रहा है.

पाकुड़ में स्ट्रॉबेरी और मशरूम की खेती पर रिपोर्ट और जिला उद्यान पदाधिकारी का बयान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

स्ट्रॉबेरी और मशरूम की खेती से घर बैठे आमदनी

गांव में धान की खेती के बाद खाली पड़ी जमीन में स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है. इतना ही नहीं अपने घरों में कम जगह में महिलाएं मशरूम का उत्पादन कर घर बैठे पैसे कमा रही हैं. स्ट्रॉबेरी और मशरूम की इतनी मांग है कि इसका उत्पादन करने वाली गांव की इन महिलाओं को बाजार नहीं जाना पड़ता है. घर बैठे और आसपास के हाट-बाजार में ही इनके द्वारा उपजाए गए मशरूम और स्ट्रॉबेरी आसानी से बिक जाते हैं और उपज का उचित दाम भी मिल जाता है.

इस संस्था से मिल रही महिलाओं को मदद

गांव की महिलाओं को स्ट्रॉबेरी और मशरूम की खेती के लिए प्रेरित और प्रशिक्षण देने का काम कृषि के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था हापेफ कर रही है. महिला किसानों को बीज, कीटनाशक दवा के साथ-साथ खेती करने के तरीके भी बताए जाते हैं. इस संबंध में हापेफ संस्था के को-ऑर्डिनेटर कंचन कुमार मंडल का कहना है कि मशरूम और स्ट्रॉबेरी की खेती कर के कम जगह और कम पूंजी में किसान 35 से 40 हजार रुपये सालाना कमा लेती हैं.

मशरूम में पानी देतीं महिला किसान. (फोटो-ईटीवी भारत)

पांच हजार महिलाओं को खेती से जोड़ने का लक्ष्य

वहीं इस संबंध में जिला उद्यान पदाधिकारी प्रसेनजीत महतो ने बताया कि जिले की पांच हजार महिलाओं को मशरूम और स्ट्रॉबेरी की खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. अब तक ढाई हजार महिलाएं स्ट्रॉबेरी और मशरूम की खेती कर अच्छी आमदनी कर रही हैं.

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Last Updated : Feb 4, 2025, 6:54 PM IST

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