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तेजस्वी यादव दिखाएंगे कमाल! साबित होंगे बिहार के प्रवेश वर्मा? - TEJASHWI YADAV

क्या तेजस्वी यादव बिहार के प्रवेश वर्मा बन पाएंगे? बिहार की राजनीति में इसको लेकर चर्चाएं तेज हैं. पटना से संवाददाता आदित्य झा की रिपोर्ट.

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बिहार के प्रवेश वर्मा बन पाएंगे तेजस्वी यादव? (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 11, 2025, 7:11 PM IST

पटना: दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम के नतीजों ने बिहार की राजनीति में सुगबुगाहट ला दी है. एक तरफ एनडीए का जोश हाई है, वहीं दूसरी तरफराष्ट्रीय जनता दल और तेजस्वी यादव के लिए नई सियासी राह सामने आने की बातें भी होने लगी हैं. सवाल उठ रहा है कि क्या दिल्ली में जो कमाल प्रवेश वर्मा ने कर दिखाया है वैसा ही कमाल बिहार में तेजस्वी कर पाएंगे.

केजरीवाल को प्रवेश वर्मा ने दी शिकस्त:पिछले 12 वर्षों से दिल्ली की सत्ता पर काबिज अरविंद केजरीवाल को विधानसभा चुनाव में इस बार करारी हार का सामना करना पड़ा. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल ने यह चुनौती दी थी कि इस जन्म में आप मुझे दिल्ली विधानसभा चुनाव में नहीं हरा सकते. लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी के ही युवा चेहरा प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को उन्हीं के गढ़ में चुनाव में शिकस्त दी.

बिहार चुनाव को लेकर चर्चाएं (ETV Bharat)

नीतीश को तेजस्वी बिहार में देंगे शिकस्त?: दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद बिहार में इस बात को लेकर राजनीतिक चर्चा चल रही है कि 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में क्या 20 वर्षों के नीतीश कुमार के शासनकाल को युवा तेजस्वी यादव शिकस्त दे पाएंगे. इसकी तैयारी में तेजस्वी बहुत पहले से लगे हुए भी हैं और कई तरह की रणनीति तैयार कर सपना को मूर्त रूप देने की कोशिश में लगे हैं.

विरासत में मिली राजनीति:बिहार की राजनीति के सबसे युवा चेहरे और सबसे बड़े घराने लालू प्रसाद के राजनीतिक वारिस तेजस्वी यादव हैं. 9 नवंबर 1989 को तेजस्वी प्रसाद यादव का जन्म पटना में हुआ था. तेजस्वी प्रसाद यादव लालू प्रसाद के छोटे बेटे हैं. उन्हें राजनीति विरासत में मिली है. उनके माता-पिता 15 वर्षों तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे इनका बचपन राजनीतिक पृष्ठभूमि में गुजरा है.

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क्रिकेटर से राजनीति का सफर:तेजस्वी यादव की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली से शुरू हुई. कक्षा 5 तक वसंत विहार में दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की. इसके बाद उनका दाखिला दिल्ली के आरके पुरम में दिल्ली पब्लिक स्कूल में हुआ. उन्होंने 2006 में अपनी 9 वीं कक्षा पूरी की. इसके बाद, उन्होंने खेलों में अपना करियर बनाने के लिए दसवीं कक्षा छोड़ने का फैसला किया.

क्रिकेट में नहीं हुए सफल:क्रिकेट के तरफ उनकी रुचि ने उनको अपनी तरफ आकर्षित किया.2008 में उनका सिलेक्शन आईपीएल में दिल्ली की टीम दिल्ली डेयरडेविल्स में हुआ. 2008 से 2012 तक वे उस टीम के साथ जुड़े रहे, लेकिन वे क्रिकेट में बहुत ज्यादा सफल नहीं हो सके.

राजनीति में हुई एंट्री: क्रिकेट में सफल नहीं होने के बाद तेजस्वी प्रसाद यादव ने राजनीति की तरफ अपना रुख किया. 2014 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और जदयू की दोस्ती टूटी थी. 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हुए थे. इसी विधानसभा चुनाव से तेजस्वी यादव की बिहार की राजनीति में एंट्री हुई. तेजस्वी यादव राघोपुर से विधानसभा के सदस्य चुने गए. उन्होंने भाजपा के सतीश कुमार को 22,733 मतों के अंतर से हराया.

बिहार के सबसे युवा उपमुख्यमंत्री: पहली बार विधायक चुने जाने के बाद तेजस्वी प्रसाद यादव को नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री बनाया गया. 26 साल की उम्र में वे बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाए गए. लेकिन 2 वर्ष से पहले ही नीतीश कुमार फिर से एनडीए में शामिल हो गए और 2017 में तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में विरोधी दल के नेता बने.

2022 में दोबारा उपमुख्यमंत्री: 2022 में एक बार फिर से नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने का फैसला किया. तेजस्वी यादव ने 12 अगस्त 2022 को फिर से बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. यह सरकार 17 महीना तक बिहार में चली. 17 महीना में सरकार के द्वारा लिए गए फैसले को आरजेडी तेजस्वी यादव के फैसले के रूप में प्रचारित करती है.

17 महीने की उपलब्धि:तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी सरकार में दूसरी बार 17 महीने तक बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे. उपमुख्यमंत्री के अलावा उनके जिम्मे में राज्य का स्वास्थ्य विभाग, पथ निर्माण विभाग, युवा एवं खेल संस्कृति विभाग भी था. सत्ता से हटाने के बाद तेजस्वी यादव ने अपने 17 महीने के कार्यकाल में बिहार सरकार के द्वारा किए गए कार्यों का श्रेय अपने ऊपर लेना शुरू किया.

आरजेडी के बने सर्वमान्य नेता: राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद हैं. लेकिन अब पार्टी के सर्वमान्य नेता में तेजस्वी यादव की गिनती होती है. 18 जनवरी को पटना के मौर्या होटल में हुए राजद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में खुद लालू प्रसाद ने यह घोषणा की की पार्टी के सभी बड़े निर्णय अब तेजस्वी यादव लेंगे. 2025 बिहार विधानसभा चुनाव के चेहरे के रूप में भी तेजस्वी यादव को पार्टी ने सामने रखा. तेजस्वी यादव अब राजद के सभी नीतिगत फैसले लेने लगे हैं.

तेजस्वी का लोगों से वादा: तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में अभी से जुट गए हैं. पूरे बिहार में वह कार्यकर्ताओं के साथ मिल रहे हैं. कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद यात्रा के क्रम में तेजस्वी यादव ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर लोगों के साथ वादा भी शुरू कर दिए हैं. तेजस्वी यादव ने अब नीतीश कुमार के खिलाफ राजनीतिक आर पार की लड़ाई शुरू कर दी है.

2025 की तेजस्वी की तैयारी:जिस तर्ज पर झारखंड एवं दिल्ली में राजनीतिक दलों ने लोगों के साथ वादा किया था. उसी तर्ज पर बिहार में भी तेजस्वी यादव ने बिहार के लोगों के साथ वादा किया है. तेजस्वी यादव ने बिहार के लोगों से चार बड़े वादे किए हैं. माई बहिन मान योजना के तहत बिहार के हर महिलाओं को प्रतिमाह 2,500 रुपए आर्थिक सहायता राशि उनके डायरेक्ट खाते में दिए जाएंगे, जिससे बिहार कि माताएं एवं बहनें स्वयं का ख़्याल रख पाए, वो आत्म निर्भर बन सके.

किए कई बड़े वादे:स्मार्ट मीटर के नाम पर लोगों के जमा खाते से पैसे ऐंठने वाले बिजली बिल पर रोक लगेगी और 200 यूनिट तक बिजली फ्री दिया जाएगा. बुजुर्गों को मिलने वाली वृद्धा पेंशन जो मात्र 400 रुपए अनियमित रूप से मिलते हैं उसे 1500 रुपए प्रतिमाह नियमित रूप से दिया जाएगा. बिहार की विधवा महिलाओं को जो विधवा पेंशन 400 मिलता है उसे 1500 किया जाएगा.

तेजस्वी के निशाने पर चाचा नीतीश:दो बार नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री सहित अनेक महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे तेजस्वी यादव अब खुलकर नीतीश कुमार के खिलाफ बोलने लगे हैं. तेजस्वी यादव के नजर में अब नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में अप्रासंगिक हो गए हैं. तेजस्वी यादव सार्वजनिक मंचों से भी अब नीतीश कुमार को थके हुए और रिटायर्ड मुख्यमंत्री बताने लगे हैं जिनकी अब सत्ता में कोई नहीं सुनता.

तेजस्वी के पास विजन का दावा:राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि तेजस्वी यादव बिहार के लोगों की आशा के किरण के रूप में लोगों के मन में बस गए हैं. बिहार के लोगों को यह लगता है कि तेजस्वी यादव जो कहते हैं वह करते हैं.

"2020 में तेजस्वी यादव ने जो बिहार के लोगों के साथ वादा किया था उसको लेकर खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि इसके लिए अपने बाप के घर से पैसा लाएगा यह असंभव है. 17 महीने के अल्पकाल में तेजस्वी यादव ने बिहार में 5 लाख से अधिक नौकरी दी और तीन लाख से अधिक नौकरी को प्रक्रियाधीन किया. जिस बात को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नामुमकिन बता रहे थे उस काम को तेजस्वी यादव ने मुमकिन कर दिया."- शक्ति सिंह यादव, मुख्य प्रवक्ता, आरजेडी

'असंभव को संभव किया':जिस नियोजित शिक्षक के राजकीय कर्मी का दर्जा किए जाने को लेकर तत्कालीन उप मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुशील मोदी कहा करते थे कि यह संभव नहीं है. उस काम को भी तेजस्वी यादव ने अपने कार्यकाल में सिद्ध करके बता दिया. आरजेडी इसको लेकर इसलिए दवा कर रही है क्योंकि यह तमाम विभाग आरजेडी कोटे के थे. बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार अब कोई फैक्टर नहीं हैं, वह दया के पात्र हैं.

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'नीतीश कुमार ग्लोबल लीडर':नीतीश कुमार के अप्रासंगिक होने के राजद के सवाल जेडीयू ने भी पलटवार किया है. जदयू के प्रवक्ता हिमराज राम का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में बिहार की राजनीतिक तकदीर और तस्वीर बदलने का काम किया. आज बिहार कई मामलों में देश के अन्य राज्यों से आगे है चाहे रोजगार का मामला हो या महिलाओं के उत्थान को लेकर जीविका दीदी योजना के माध्यम से उनको आत्मनिर्भर बनाने का काम किया गया हो.

"बिहार पहला राज्य है जिसमें सबसे ज्यादा संख्या में महिला पुलिस बल की नियुक्ति हुई है. बिहार को बदहाली से नई ऊंचाई पर ले जाने के कारण ही नीतीश कुमार के ग्लोबल थिंकर एवं क्लाइमेट लीडर के रूप में जानती है और नीतीश कुमार को लोग विकास पुरुष कहते हैं."-हिमराज राम,प्रवक्ता, जेडीयू

तेजस्वी की तैयारी पर जानकारों की राय: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का मानना है कि तेजस्वी यादव युवा है और बिहार की राजनीति में बड़ी लकीर खींचने का काम कर रहे हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था. उससे पहले बिहार की राजनीति में नौकरी की बात नहीं होती थी.

"तेजस्वी की घोषणा के बाद एनडीए को भी उसी रास्ते पर चलना पड़ा. 17 महीना के कार्यकाल में किए गए काम को लेकर जिस तरीके से तेजस्वी यादव लोगों के बीच गए जदयू को भी अपना टैगलाइन बदलना पड़ा "रोजगार मतलब नीतीश कुमार."-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

तेजस्वी के सामने चुनौती: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का मानना है कि अपने 17 महीना के कार्यकाल की उपलब्धि को जिस तरीके से तेजस्वी यादव और आरजेडी बात कर बड़ी लकीर खींचने की बात कह रहे हैं, उसी रास्ते पर बिहार के अन्य राजनीतिक दलों को भी चलना पड़ रहा है. लेकिन तेजस्वी यादव के सामने बड़ी चुनौती भी है क्योंकि दिल्ली में यदि प्रवेश वर्मा नए चेहरे के रूप में केजरीवाल के सामने खड़े हुए तो उनके पीछे भाजपा जैसी मजबूत पार्टी पूरे दमखम के साथ खड़ी थी.

"पूरी पार्टी और एनडीए गठबंधन ने दिल्ली में जोर लगाया तो केजरीवाल को सत्ता से जाना पड़ा. लेकिन तेजस्वी यादव के सामने चुनौतियां है कि उनके साथ बिहार में मजबूती के साथ कौन-कौन खड़े होते हैं. बिहार में यदि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में मजबूत गठबंधन बनता है तब तो लड़ाई दिलचस्प होगी, नहीं तो कहीं 2010 विधानसभा चुनाव की पुनरावृत्ति ना हो जाए."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

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