पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की राजनीतिक पारी को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू है. नीतीश कुमार अब तक परिवार के सदस्यों को राजनीति से दूर रखते रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी को लेकर कयास लगाए जाते रहे हैं. परिवार के सदस्यों के साथ पार्टी के कई नेता भी चाहते हैं कि निशांत को पार्टी की कमान मिल जाए.
नीतीश के बेटे की JDU में होगी ताजपोशी ? : एक बार फिर से चर्चा है कि होली के बाद निशांत को लेकर कोई बड़ा फैसला जेडीयू में हो सकता है. पार्टी के वरिष्ठ नेता कह रहे हैं कि निशांत पढ़े लिखे हैं. राजनीति में आते हैं तो पार्टी हित में होगा और ट्रेनिंग तो उन्हें मिल ही चुकी है.
'पढ़े-लिखे लोग राजनीति में आते हैं तो अच्छी बात होगी' : नालंदा से आने वाले बिहार सरकार के वरिष्ठ मंत्री नीतीश कुमार के नजदीकी श्रवण कुमार का कहना है कि निशांत कुमार पार्टी में आते हैं तो अच्छा ही होगा. पढ़े लिखे हैं और ऐसे लोगों को राजनीति में आना चाहिए. इतनी अच्छी सोच वाले अगर युवा राजनीति में आते हैं तो मैं समझता हूं कि समाज का भला ही होगा.
''मेरी जानकारी में नहीं है. हमसे मुलाकात भी कभी-कभी ही होती है. जनवरी में जरूर मुलाकात हुई थी. जब नीतीश कुमार के साथ हैं तो परिवार के सभी सदस्य पार्टी में हैं. वह बिहार की राजनीति को समझते हैं. बिहार की परिस्थितियों को समझते हैं.''- श्रवण कुमार, मंत्री, बिहार सरकार
'सही समय पर सही फैसला होगा' : वहीं पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और नीतीश कुमार के नजदीकियों में से एक वशिष्ठ नारायण सिंह का भी कहना है कि निशांत कुमार आते हैं तो यह पार्टी हित में होगा. हालांकि इस मामले में मुझे भी कोई जानकारी नहीं है. निशांत कुमार पढ़े लिखे हैं, इंजीनियर हैं और नीतीश कुमार के साथ रह रहे हैं तो राजनीतिक गुर भी सीख रहे होंगे. इसमें कहीं कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सही समय पर ही उनके बारे में सही फैसला होगा.
नीतीश कुमार की पारी अब तक बेदाग :राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि नीतीश कुमार की दो यूएसपी है. एक तो भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करना और दूसरा परिवारवाद से दूरी. बिहार के कई नेता भ्रष्टाचार में फंस चुके हैं, यह किसी से छिपा नहीं है. वैसे नीतीश कुमार की पारी अब तक बेदाग रही है. राजनीति में भी अपने परिवार के किसी सदस्य को उन्होंने एंट्री नहीं होने दी है.
''परिवार के सदस्य जरूर चाहते हैं कि निशांत राजनीति में आए. अब नीतीश कुमार अपनी भीष्म प्रतिज्ञा तोड़ लें तो अलग बात है. कर्पूरी ठाकुर भी अपने परिवार के किसी सदस्य को जीते जी राजनीति में आने नहीं दिए. हालांकि उनके निधन के बाद उनके बेटे आज केंद्र में मंत्री भी हैं.''- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ