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मुंबई के इस वाइल्डलाइफर का घना से है 33 साल पुराना रिश्ता, कैद कर चुके हैं साइबेरियन क्रेन, अब हालात देख हुए मायूस - Wildlife Photographer Hira Punjabi

मुंबई के हीरा पंजाबी अपने जीवन के कई साल जंगल में घूमकर गुजार चुके हैं. जानवर और पक्षियों को कैमरे में कैद करने का जुनून ऐसा है कि साल के 200 दिन वो जंगल में ही रहते हैं. इनसब में उनका विशेष लगाव भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से है. वो 33 साल से लगातार यहां आ रहे हैं, लेकिन अब घना की स्थिति को देखकर मायूस हो जाते हैं.

Wildlife Photographer Hira Punjabi
Wildlife Photographer Hira Punjabi

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 9, 2024, 5:44 PM IST

मुंबई के वाइल्डलाइफर हीरा पंजाबी

भरतपुर.'बचपन में जंगली जानवर और पक्षियों की फोटो देखना पसंद था, लेकिन यह पसंद कब जुनून बन गया पता ही नहीं चला.' मुंबई निवासी 59 वर्षीय हीरा पंजाबी बीते 35 साल से देश और दुनिया के जंगलों में घूमकर जिंदादिली से जिंदगी जी रहे हैं. भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से उन्हें विशेष लगाव है. वो 33 साल से लगातार यहां आ रहे हैं. हीरा पंजाबी ने केवलादेव 'घना' का वो दौर भी देखा जब यहां एक साथ 11-11 साइबेरियन क्रेन विचरण करते थे. लाखों पक्षियों की चहचहाट से घना गुंजायमान रहता था. अब घना में सन्नाटा पसरा हुआ है. साइबेरियन क्रेन ने तो 2.5 दशक पूर्व ही घना से मुंह मोड़ लिया था. अब पक्षियों की संख्या में भी भारी कमी आई है. हीरा पंजाबी घना के वर्तमान हालात को देखकर बहुत मायूस होते हैं. उनका मानना है कि यदि घना प्रबंधन चाहे तो घना को फिर से पुनर्जीवित किया जा सकता है.

सिर्फ 20% रह गई पॉपुलेशन :मुंबई निवासी हीरा पंजाबी ने बताया कि वो सबसे पहले वर्ष 1990 में घना आए थे. उस समय घना में कुल 11 साइबेरियन क्रेन थे. खुद हीरा पंजाबी ने एक साथ 4 साइबेरियन क्रेन को अपने कैमरे में कैद किया था. पुरानी यादें ताजा करते हुए हीरा पंजाबी ने बताया कि उस समय घना में लाखों की संख्या में पक्षी आते थे. घना में घुसते ही पक्षियों का कलरव और चहचहाट शुरू हो जाती. चहचहाट से जंगल गूंजता था, लेकिन अब घना में साइबेरियन क्रेन के साथ ही कई प्रजाति के पक्षियों ने आना बंद कर दिया है. पक्षियों की संख्या भी घटकर मुश्किल से 20% रह गई है.

मुंबई के वाइल्डलाइफर हीरा पंजाबी

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मेंटेन नहीं किया तो इतिहास बन जाएगा :हीरा पंजाबी ने बताया कि घना पहले स्थानीय महाराज की शिकारगाह हुआ करता था. उन्होंने इसे मेंटेन किया था तो हमें इतनी बड़ी संख्या में पक्षी देखने को मिले. अब घना प्रबंधन को इसे अच्छे से मेंटेन करना होगा. घना के लिए पांचना बांध का पानी भी बहुत जरूरी है. धीरे-धीरे प्रयास किए जाएं तो घना को फिर से पुनर्जीवित किया जा सकता है. ऐसा नहीं हुआ तो ये इतिहास बनकर रह जाएगा.

50 देशों में छप चुके फोटो, कई अवार्ड :हीरा पंजाबी ने बताया कि वो अब तक कई देशों की यात्रा कर चुके हैं और वहां की वाइल्डलाइफ सेंचुरी घूम चुके हैं. हीरा पंजाबी के दर्जनों फोटो करीब 50 देशों की मैगजीन और मीडिया में प्रकाशित हो चुके हैं. इतना ही नहीं उन्हें दर्जनों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वाइल्डलाइफ अवार्ड भी मिल चुके हैं.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

साल में 200 दिन जंगल में :हीरा पंजाबी ने बताया कि उनके परिवार में अब सिर्फ उनकी एक बेटी है, जिसकी तीन साल पहले शादी हो चुकी है. धर्मपत्नी उमा पंजाबी का 8 साल पहले निधन हो चुका है. पूरा परिवार व्यवसाय से जुड़ा हुआ है, लेकिन उनका जुनून जंगल है. वो 59 वर्ष की उम्र में भी पूरे साल के 200 दिन जंगलों में घूमकर गुजारते हैं. वर्ष 2014 में उनका लीवर ट्रांसप्लांट भी हो चुका है, लेकिन जंगल का जुनून आज भी बरकरार है.

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