अलवर: प्रदेश के प्रमुख टाइगर रिजर्व में शुमार सरिस्का टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों के इलाज के लिए जल्द वन्यजीव चिकित्सालय शुरू होने की उम्मीद है. सरिस्का प्रशासन ने वन्यजीव पशु चिकित्सालय की जरुरत को देखते हुए एक प्रस्ताव विभागीय मुख्यालय जयपुर भेजा गया है. अब सरकार की ओर से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर बाघ, बघेरों समेत अन्य वन्यजीवों को इलाज के लिए जयपुर नहीं भेजना पड़ेगा. वर्तमान में सरिस्का टाइगर रिजर्व में 20 हजार से ज्यादा मांसाहारी व शाकाहारी वन्यजीव हैं.
सरिस्का टाइगर रिजर्व में अभी 43 बाघ व शावक, 200 से ज्यादा पैंथर, हाइना समेत कई हजार सांभर, चीतल, जंगली सुअर, नील गाय व अन्य वन्यजीव विचरण कर रहे हैं. सरिस्का टाइगर रिजर्व की भौगोलिक स्थिति प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व से अलग होने के कारण यहां वन्यजीवों के गंभीर घायल होने का सिलसिला भी जारी रहता है. बाघ, पैंथरों के इलाज के लिए उन्हें पहले टंक्यूलाइज करना होता है. इसके लिए सरिस्का प्रशासन को बार-बार जयपुर से वन्यजीवों के एक्सपर्ट डॉक्टर को बुलाना पड़ता है. वैसे सरिस्का में भी एक वन्यजीव चिकित्सक एवं दो नर्सिंग स्टाफ है. लेकिन यहां वन्यजीव चिकित्सक नहीं होने के कारण ज्यादातर मामलों में वन्यजीवों को इलाज के लिए जयपुर मुख्यालय ही भेजना पड़ता है.