उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद छोटे दल क्यों भंग कर रहे कार्यकारणी, जानिए क्या है वजह - UP Politics

लोक सभा चुनाव नतीजों के बाद सभी राजनीतिक दल परिणामों को लेकर समीक्षा बैठकें कर रहे हैं. इस चुनाव में सबसे बुरा प्रदर्शन छोटे दलों का रहा है, जिनका दावा था कि उनका वर्चस्व कुछ जाति व क्षेत्र विशेष में है. लिहाजा नतीजों के 15 दिनों के अंदर ही यूपी के दो दल सुभासपा और अपना दल सोनेलाल ने बुरे नतीजों का ठीकरा अपनी-अपनी कार्यकरणियों पर फोड़ा और उन्हें भंग कर दिया. आइए जानते हैं कि जिन दलों के अध्यक्ष ही एक मात्र पार्टी का चेहरा और पॉलिसी मेकर हों तो उसकी कार्यकारणी पर नतीजों का ठीकरा किस वजह से फोड़ा जा रहा है. साथ ही इस कार्यकारणी को बनाने के लिए कितना ये दल ख्याल रखते हैं.

Etv Bharat
सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर अपना दल एस अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Archive)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 25, 2024, 10:40 AM IST

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के 15 दिन के अंदर ही अपना दल (एस) और सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी ने अपनी-अपनी कार्यकारणी भंग कर दी. कहा गया कि अब जल्द ही नई कार्यकारणी का गठन होगा. भंग करने के पीछे की वजह लोगसभा चुनाव 2024 के नतीजे हैं, जो इन दोनों दलों की अपेक्षा के विपरीत रहे हैं.

अपना दल (एस) ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा और एक पर हार गई, जबकि सुभासपा ने अपनी एकमात्र सीट घोसी खो दी. इतना ही नहीं अपना दल का वोट शेयर भी घटा और जिन सीटों पर बीजेपी को भरोसा था कि ये दोनों दल उसके वोट शेयर को बढ़ाएंगे वह भी नहीं बढ़ा. अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने मिर्जापुर सीट से लोकसभा चुनाव जीता है.

क्या सिर्फ विफलता छुपाने के लिए भंग होती है कार्यकारणी:राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन बताते हैं कि छोटे दलों में कार्यकारणी नाम की चीज होती ही नहीं है. उसमें अपने कुछ खास लोगों को बड़े पद दे दिए जाते हैं जो जमीन पर काम नहीं करते हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी में दो महत्वपूर्ण पद उनके दोनों बेटों के पास हैं, जबकि अपना दल में प्रमुख तो अनुप्रिया पटेल व उनके पति अशीष ही हैं. ऐसे में बुरे नतीजों के बाद यह छोटे दल खासकर व्यक्ति आधारित पार्टी कार्यकारणी को भंग कर खुद के फेल्योर को छुपाने की एक कोशिश होती है.

कार्यकारणी में पार्टी प्रमुख भी, लेकिन वो बने रहते हैं जस के तस: राजनीतिक विश्लेषक राघवेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि, असल में छोटे दलों को अपनी कार्यकारणी को फिर से बनाने में आसानी होती है, अपेक्षाकृत बड़े दलों के, जिनका दायरा बड़ा होता है. लेकिन, चुनाव से पहले कार्यकारणी बनाना और फिर नतीजों के हिसाब से उसे भंग करना यह दिखाता है कि छोटे दल एक कार्यकारणी के गठन में खासा दिमागी कसरत नहीं करते हैं, जो नेता उनका खास होता है उसे पदाधिकारी बना कार्यकारणी में शामिल करते हैं और जब नतीजे उनके पक्ष में नहीं आते हैं तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा देते हैं. हालांकि इस कार्यकारणी में वो भी होते है जो पार्टी के सर्वे सर्वा है लेकिन, वह जस के तस बने रहते हैं. ऐसे में इनकी कार्यकारणी का कुछ खास महत्व रखता नहीं है.

क्या था सुभासपा का परिणाम: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने सुभासपा को सिर्फ एक सीट घोसी दी थी. इस सीट पर ओपी राजभर के बेटे अरविंद राजभर ने चुनाव लड़ा और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राजीव राय से 162,943 वोटों से हार गए. अरविंद राजभर को 3,40,188 वोट मिले.

अपना दल का क्या रहा था प्रदर्शन: अपना दल (एस) ने लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर व रॉबर्ट्सगंज सीट पर चुनाव लड़ा था. दोनों सीटों पर उन्हीं के सांसद थे. रॉबर्ट्सगंज में अपना दल (एस) से रिंकी कोल से सपा प्रत्याशी छोटेलाल ने 129,234 वोट से चुनाव जीत लिया. जबकि मिर्जापुर सीट पर अनुप्रिया पटेल ने 37,810 वोटों से जीत दर्ज की. दूसरे नंबर पर रहे समाजवादी पार्टी के रमेश चंद बिंद को 433,821 वोट मिले. इसी सीट पर 2019 के चुनाव में वो दो लाख से भी अधिक मतों से जीती थी.

ये भी पढ़ेंःइतिहास में पहली बार उपचुनाव लड़ेगी बसपा, जानिए किसको होगा फायदा, किसको नुकसान

ये भी पढ़ेंःयोगी कैबिनेट बैठक; अयोध्या में संग्रालय, निवेशकों के लिए जमीन के प्रस्ताव पर लग सकती है मुहर

ABOUT THE AUTHOR

...view details