लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के 15 दिन के अंदर ही अपना दल (एस) और सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी ने अपनी-अपनी कार्यकारणी भंग कर दी. कहा गया कि अब जल्द ही नई कार्यकारणी का गठन होगा. भंग करने के पीछे की वजह लोगसभा चुनाव 2024 के नतीजे हैं, जो इन दोनों दलों की अपेक्षा के विपरीत रहे हैं.
अपना दल (एस) ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा और एक पर हार गई, जबकि सुभासपा ने अपनी एकमात्र सीट घोसी खो दी. इतना ही नहीं अपना दल का वोट शेयर भी घटा और जिन सीटों पर बीजेपी को भरोसा था कि ये दोनों दल उसके वोट शेयर को बढ़ाएंगे वह भी नहीं बढ़ा. अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने मिर्जापुर सीट से लोकसभा चुनाव जीता है.
क्या सिर्फ विफलता छुपाने के लिए भंग होती है कार्यकारणी:राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन बताते हैं कि छोटे दलों में कार्यकारणी नाम की चीज होती ही नहीं है. उसमें अपने कुछ खास लोगों को बड़े पद दे दिए जाते हैं जो जमीन पर काम नहीं करते हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी में दो महत्वपूर्ण पद उनके दोनों बेटों के पास हैं, जबकि अपना दल में प्रमुख तो अनुप्रिया पटेल व उनके पति अशीष ही हैं. ऐसे में बुरे नतीजों के बाद यह छोटे दल खासकर व्यक्ति आधारित पार्टी कार्यकारणी को भंग कर खुद के फेल्योर को छुपाने की एक कोशिश होती है.
कार्यकारणी में पार्टी प्रमुख भी, लेकिन वो बने रहते हैं जस के तस: राजनीतिक विश्लेषक राघवेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि, असल में छोटे दलों को अपनी कार्यकारणी को फिर से बनाने में आसानी होती है, अपेक्षाकृत बड़े दलों के, जिनका दायरा बड़ा होता है. लेकिन, चुनाव से पहले कार्यकारणी बनाना और फिर नतीजों के हिसाब से उसे भंग करना यह दिखाता है कि छोटे दल एक कार्यकारणी के गठन में खासा दिमागी कसरत नहीं करते हैं, जो नेता उनका खास होता है उसे पदाधिकारी बना कार्यकारणी में शामिल करते हैं और जब नतीजे उनके पक्ष में नहीं आते हैं तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा देते हैं. हालांकि इस कार्यकारणी में वो भी होते है जो पार्टी के सर्वे सर्वा है लेकिन, वह जस के तस बने रहते हैं. ऐसे में इनकी कार्यकारणी का कुछ खास महत्व रखता नहीं है.