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विवादास्पद बयानों पर भी नीतीश कुमार खामोश क्यों? CM की चुप्पी फिर पलटी मारने के संकेत तो नहीं! - NITISH KUMAR

हालिया विवादास्पद बयानों पर नीतीश कुमार की चुप्पी से बिहार की सियासत गरमा गई है. राजनीतिक पंडित कई तरह के कयास लगा रहे हैं.

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 25, 2024, 5:19 PM IST

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विवादास्पद मुद्दों पर चुप्पी साथ रखी है. इस बीच कयासों का दौर जारी है. सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या फिलवक्त जदयू में नीतीश कुमार इतने मजबूत है कि कोई बड़ा निर्णय ले पाए. जदयू के नेता जरूर बयान दे रहे हैं. लेकिन खुद नीतीश कुमार बोलने से बच रहे हैं. वक्फ बोर्ड विधेयक हो या वन नेशन वन इलेक्शन या फिर अमित शाह का आंबेडकर को लेकर दिया गया बयान मामले में नीतीश कुमार ने चुप्पी नहीं तोड़ी है.

नीतीश की चुप्पी खतरे के संकेत है: नीतीश कुमार को जानने वाले यह बताते हैं कि नीतीश कुमार को जब कुछ बड़ा करना होता, तो चुप हो जाते. फिलहाल भी वह चुप है. दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री के इस कथन के बाद कि चुनाव के बाद बिहार में नेता तय किया जाएगा और विवाद शुरू हुआ. राजनीतिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि केंद्रीय गृह मंत्री के बयान के बाद बिहार के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री की सफाई दी.

बिहार में सियासत (ETV Bharat)

चुप्पी के माध्यम से देते हैं मैसेज: नीतीश कुमार की चुप्पी कोई लेकर कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि पहले भी नीतीश कुमार जिसमें उन्हें नहीं बोलना रहता था चुप्पी साध लेते थे और जब भी दबाव की राजनीति करते हैं तो अपनी चुप्पी के माध्यम से एक मैसेज देते हैं.अगले साल विधानसभा का चुनाव है संभव है.

2025 चुनाव को लेकर नीतीश की रणनीति तो नहीं: पहले भी नीतीश कुमार जब चुप्पी साधते रहे हैं तो बिहार में बड़े राजनीतिक उथल-पुथल हुए हैं. ऐसे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों में लगातार कह रहे हैं कि अब इधर-उधर नहीं होंगे. पार्टी के मंत्री और वरिष्ठ नेता भी कह रहे हैं कि नीतीश कुमार नाराज नहीं है.

सीएम नीतीश कुमार (ETV Bharat)

राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं नीतीश कुमार: राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे का कहना है कि नीतीश कुमार हल्के नेता नहीं हैं. कोई भी बात बड़ी गंभीरता से रखते हैं. पहले भी नीतीश कुमार विवादास्पद मुद्दों पर पार्टी के नेताओं से तो बयान दिलवाते थे. खुद नहीं बोलते थे. इस बार भी कई विवाद वाले मुद्दों पर बोलने से बच रहे हैं, लेकिन जब उनके पार्टी के नेता बोल रहे हैं तो कहीं ना कहीं उनकी अनुमति से ही बोल रहे होंगे ऐसे नीतीश कुमार दबाव की राजनीति करने में माहिर माने जाते हैं.

"अभी से ही भाजपा पर एक दबाव बनाने की कोशिश नीतीश कुमार की हो सकती है. बिहार विधानसभा चुनाव में अब बहुत ज्यादा दिन नहीं है. ऐसे सीटों को लेकर आने वाले दिनों में मंथन शुरू होगा. इतना तय है कि नीतीश कुमार को अलग कर एनडीए कोई बड़ा फैसला लेगा. इसकी संभावना कम है और नीतीश कुमार चाहे किसी गठबंधन में हो अपनी भूमिका खुद तय करते रहे हैं."-सुनील पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (ETV Bharat)

बीजेपी भी सीएम के नाराजगी से किया इनकार: बीजेपी के नेता भी नीतीश कुमार की किसी तरह की नाराजगी से इनकार कर रहे हैं दूसरी तरफ जदयू के तरफ से 2025 एक बार फिर से नीतीश कुमार और जब बिहार की बात हो तो नाम सिर्फ नीतीश कुमार का हो इसी तरह के स्लोगन वाले पोस्टर जदयू के विभिन्न मीडिया हैंडल से पोस्ट किए जा रहे. यही नहीं नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फोटो वाला पोस्टर भी पोस्ट किया जा रहा है और एनडीए की एकजुटता की बात कही जा रही है.

"कहीं कोई नाराजगी नहीं है. हम लोग मजबूती से एनडीए के साथ हैं और हमारे नेता काम में विश्वास रखते हैं. बोलने में विश्वास नहीं रखते हैं, लेकिन एक बात है कि हमारे नेता किसी के पीठ में छुरा नहीं घोंपते हैं."- हिमराज राम, प्रवक्ता जदयू

2025 चेहरा पर भी सियासत: एक तरफ बिहार बीजेपी के नेता और एनडीए के घटक दल के नेता भी नीतीश कुमार के चेहरे पर ही 2025 विधानसभा का चुनाव लड़ने की बात जरूर कह रहे हैं, लेकिन पिछले दिनों अमित शाह ने जो बयान दिया उसमें पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करने की बात कह दी और उसके बाद से भी राजनीतिक गलियारों में नीतीश कुमार के चेहरे को लेकर भी चर्चा है. हालांकि जदयू के नेता किसी तरह की नाराजगी से साफ इनकार कर रहे हैं.

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