लखनऊ: भारतीय प्रशासनिक सेवा को सबसे टिकाऊ और पावर फुल जॉब माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों से यूपी कैडर के आईएएस अधिकारियों का इस नौकरी से मोहभंग हो रहा है. जिसके चलते उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में भगदड़ मची हुई है. सरकार के प्रेशर से टेंशन में आए अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा रहे हैं. अनेक अफसर दिल्ली जाने के लिए आवेदन कर चुके हैं. जबकि सात आईएएस पिछले कुछ साल में नौकरी छोड़ चुके हैं.
IAS अधिकारियों के नौकरी छोड़ने को लेकर माना जा रहा है कि, कुछ लोग तो अपने व्यक्तिगत कारणों से नौकरी छोड़ना या दिल्ली जाना चाहते हैं. जबकि कई अधिकारी सरकारी दबाव से मुक्त होने के लिए नौकरी छोड़कर कारपोरेट सेक्टर में जाने का जुगार लगा रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर दुबे ने बताया कि, निश्चित तौर पर अनेक आईएएस ऑफिसर कड़ी कार्रवाई और सरकार की सख्ती को देखते हुए कुछ घुटन महसूस कर रहे हैं. इसलिए वह पद छोड़ रहे हैं, और इस्तीफा दे रहे हैं. कई को निजी क्षेत्र में विशेष अवसर मिलने की संभावना है. जबकि कुछ के व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं.
पिछले दो साल में इन आईएएस ऑफिसर ने दिया इस्तीफा
रिग्जियान सैफल: 2003 बैच के आईएएस अधिकारी रिग्जियान सैफल मुख्यमंत्री के सचिव थे और व्यक्तिगत कारण बताकर उन्होंने पिछले साल VRS ले लिया.
विकास गोठलवाल: 2008 बैच के आईएएस अधिकारी विकास गोठलवाल ने निजी कारणों के चलते इस्तीफा देने की बात कही थी, जो कि स्वीकार हो गया.
विद्या भूषण: 2008 बैच के आईएएस हैं. बिना बताए छुट्टी लेने के आरोप में निलंबित किए जाने के बाद पिछले साल आईएएस विद्याभूषण ने VRS ले लिया.
रेणुका कुमार: 1997 बैच की आईएएस अफसर हैं. व्यक्तिगत कारणों से उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया है.
जूथिका पाटणकर: 1988 बैच की आईएएस अफसर हैं. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ दिया है.
मोहम्मद मुस्तफा:1995 आईएएस का इस्तीफा सबसे ताजा मामला है. उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफा देने के लिए VRS मांगा था. उनका इस्तीफा मंजूर हो गया.
अभिषेक सिंह: 2011 बैच के आईएएस अफसर को नौकरी में लापरवाही बरतने को लेकर निलंबित किया गया था. जिसके बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी. जौनपुर से चुनाव लड़ने का प्रयास भी किया था. भारतीय जनता पार्टी से टिकट चाहते थे. लेकिन टिकट न मिलने की वजह से एक बार फिर नौकरी ज्वाइन करना चाहते हैं. सरकार ने उनको नौकरी पर वापस लाने को लेकर NOC नहीं दी है.
उत्तर प्रदेश के चार वरिष्ठ IAS अधिकारियों को मिली केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की NOC:उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश पर चार वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति मिली है. लंबे समय से यह अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए प्रयासरत थे. उत्तर प्रदेश सरकार के सबसे ताकतवर आईएएस अधिकारी माने जाने वाले एसपी गोयल ने भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति मांगी थी. राज्य सरकार की ओर से उनको रजामंदी दे दी गई है. वे मुख्यमंत्री के सचिव हैं. 2007 बैच के उत्तर प्रदेश के कमिश्नर रैंक के तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को केंद्रीय नियुक्ति मिली है. निकट भविष्य में इन आईएएस अधिकारियों को विभाग की पोस्टिंग भी दे दी जाएगी. लंबे समय से यह अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए प्रयासरत थे. आखिरकार उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का आदेश हो चुका है.
2007 बैच के आईएएस अधिकारी और वर्तमान में गन्ना आयुक्त प्रभु एन सिंह ने कोरोना के समय आगरा का जिलाधिकारी रहते हुए शानदार काम किया था. आगरा में महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए प्रभु एन सिंह के कामों की काफी तारीफ की गई थी. इससे पहले लखनऊ विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष के तौर पर भी उनका काम बेहतरीन रहा था. इसके बाद में उन्हें उत्तर प्रदेश राहत आयुक्त और अब गन्ना आयुक्त पद पर वे तैनात हैं. इनके अलावा कमिश्नर रैंक के दो अन्य अधिकारियों को भी दिल्ली जाने का मौका मिल रहा है. इसके अतिरिक्त 2007 बैच के ही झांसी के मंडलायुक्त डॉ. आदर्श सिंह और पश्चिम अंचल विद्युत वितरण निगम की MD चैत्रा वी को केंद्र की प्रतिनियुक्ति में भेजा जा रहा है.
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