शिमला: हिमाचल विधानसभा में भारी बहुमत और तीन निर्दलीय सदस्यों के समर्थन के बावजूद कांग्रेस सरकार राज्यसभा की सीट हार गई. एक बड़े वकील माने जाने वाले अभिषेक मनु सिंघवी को हार मिली और कांग्रेस से भाजपा में आए हर्ष महाजन को विजय की खुशी नसीब हुई. अब यहां खबर के शीर्षक के साथ ये राज्यसभा सीट पर हार का लिंक कैसे जुड़ेगा, उसकी तरफ चलते हैं.
हिमाचल कांग्रेस में उठापटक का दौर: दरअसल, राज्यसभा सीट पर पराजय का स्वाद चखने के बाद कांग्रेस में उठापटक का दौर आ गया. छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की और तीन निर्दलीय भी कांग्रेस से छिटक गए. इस हार से मचे तूफान के बीच हिमाचल में कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता स्व. वीरभद्र सिंह के नाम की एंट्री हुई. उनके बेटे और युवा कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. तर्क ये दिया कि उनके पिता की प्रतिमा रिज मैदान पर लगाने के आग्रह को उनकी ही सरकार ने नजर अंदाज किया.
पिता की प्रतिमा नहीं लगाए जाने पर बिफरे विक्रमादित्य: इसके लिए विक्रमादित्य सिंह ने बहादुर शाह जफर का शेर कहा, जिसमें जिक्र है कि एक बदनसीब बादशाह को दो गज जगह भी कू-ए-यार में न मिली। यह कहते हुए विक्रमादित्य सिंह के आंसू निकल आए और आवाज भर्रा गई. बस, इसके बाद ही रिज मैदान पर प्रतिमाओं को लेकर चर्चा शुरू हो गई. विक्रमादित्य सिंह ने अपने पिता और छह बार हिमाचल के सीएम रहे वीरभद्र सिंह को उचित सम्मान का मामला उठाया. उसके बाद शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर भी अपने दादा और पूर्व सीएम ठाकुर रामलाल की प्रतिमा रिज पर लगाने की मांग कर गए.
अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा रामलाल ठाकुर और सुखराम की प्रतिमा लगाने की मांग:रामलाल ठाकुर ने अपने जीवन में कोई चुनाव नहीं हारा और एक बार तो उन्होंने जुब्बल से वीरभद्र सिंह को ही चुनाव में परास्त कर दिया था. खैर, इसके बाद बागवानों की एक संस्था ने सेब को शिमला में लाने वाले सत्यानंद स्टोक्स की प्रतिमा शिमला पर लगाने की मांग कर दी. इसी कड़ी में पहाड़ी गांधी बाबा कांशीराम की प्रतिमा भी यहां लगाने की मांग फिर से उठ गई. साथ ही संचार क्रांति के जनक कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम की प्रतिमा लगाने की मांग उनके पोते आश्रय शर्मा ने कर दी. दो पोतों ने अपने दादाओं की प्रतिमा लगाने का आग्रह किया. रोहित ठाकुर व आश्रय शर्मा अपने-अपने दादा का योगदान याद रखने के लिए कह रहे हैं.
ब्रिटिश हुकूमत के दौर का अंडरग्राउंड वाटर टैंक और रिज का बोझ:शिमला के रिज मैदान पर इस समय बापू गांधी के अलावा इंदिरा गांधी, हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा स्थापित है. इसके अलावा महान सैनिक लेफ्टिनेंट जनरल दौलत सिंह की प्रतिमा भी है. रिज मैदान के एक छोर पर स्कैंडल प्वाइंट नामक जगह पर पंजाब केसरी लाला लाजपत राय जी की प्रतिमा है. रिज मैदान से आगे जाएं तो सेंट्रल टेलीग्राफ चौक के समीप देश के लाल और पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री जी की प्रतिमा है. चौड़ा मैदान में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा है तो छोटा शिमला में राजीव गांधी की प्रतिमा स्थापित की गई है. अब वीरभद्र सिंह सहित ठाकुर रामलाल, पहाड़ी गांधी बाबा कांशीराम, सत्यानंद स्टोक्स आदि की प्रतिमा की मांग हो रही है.
लाला लाजपत राय की प्रतिमा आखिर रिज की जिद ही क्यों?:शिमला का रिज मैदान सैलानियों का पसंदीदा सैर का स्थल है. यहां फोटोजेनिक चर्च की इमारत है. यहां आने वाले सैलानी सभी प्रतिमाओं के प्रति आकर्षण दिखाते हैं. उन प्रतिमाओं के साथ फोटो खिंचवाते हैं. रिज पर लगी राष्ट्रपिता की फोटो के साथ विदेशी सैलानी भी फोटो लेते हैं. यही आकर्षण अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का है. लोग हिमाचल निर्माता की प्रतिमा के प्रति भी उत्सुक होते हैं. ऐसे में रिज पर लगे नेताओं की प्रतिमा से उनकी चर्चा दूर-दूर तक होती है. सबसे बड़ा कारण तो यही कहा जा सकता है.
वरिष्ठ मीडिया कर्मी नवनीत शर्मा का मानना है कि रिज मैदान पर बोझ डालना सही नहीं है. ये मैदान इतना खूबसूरत है कि यहां से शिमला के कई नजारे निहारे जा सकते हैं. रिज पर कभी सियासी रैलियां होती हैं तो टूरिस्ट सीजन में दिन भर हजारों सैलानी यहां चहलकदमी करते हैं. यहां का एक हिस्सा धंस गया है. पहले से ही मूक होकर प्रतिमाओं का मेला देख रहे रिज मैदान में अब और प्रतिमाओं की जगह नहीं तलाशी जानी चाहिए. शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवार का कहना है कि रिज पर और भार नहीं डालना चाहिए. टिकेंद्र पंवर तो यहां सियासी रैलियों के आयोजन के खिलाफ भी मुखर रहे हैं. फिलहाल, अब ये चर्चाएं चल रही हैं कि क्या रिज मैदान में निकट भविष्य में और प्रतिमाएं दिखेंगी?
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