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सोना खरीदते समय हॉलमार्क का जरूर देखें निशान, जानिए इसका महत्व - GOLD SHOPPING TIPS

आप सोना खरीदते समय जेवर में हॉलमार्क का निशान जरूर देखें. इससे आप जान सकते हैं कि जेवर शुद्ध सोने का बना है या नहीं.

hallmark mark in Gold
सोने में हॉलमार्क का निशान का महत्व (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 26, 2024, 10:58 PM IST

रायपुर : शादी का सीजन शुरू होते ही जेवर खरीदी करने लोग साराफा मार्केट का रूख करते हैं. लेकिन सोना खरीदते समय विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है. सोना शुद्ध है या नहीं, असली है या नकली, इसमें कितना मिलावट है, इसकी परख करना जरूरी है. नहीं तो आप ठगी के शिकार हो सकते हैं. हालांकि, ग्राहकों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने हॉलमार्क की व्यवस्था की है.

हॉलमार्क के निशान का महत्व : हॉलमार्क के निशान देख कर आप आसानी से यह पता कर सकते हैं कि सोना शुद्ध है या नहीं. हॉलमार्क के साथ ही कुछ वर्ड और नंबर भी लिखे होते हैं. उसका क्या मतलब होता है, इससे कैसे सोने के कैरेट की पहचान होती है. आइए समझें कि कैसे हॉलमार्क से सोने के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं.

सोना खरीदते समय हॉलमार्क निशान ऐसे देखें (ETV Bharat)

ऐसे जानिए सोने की शुद्धता : सोने की शुद्धता की परख के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने हॉलमार्क की व्यवस्था की है. इस संबंध में रायपुर सराफा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हरख मालू का कहना है कि सोना खरीदते समय हॉलमार्क को जरूर देखें. इससे पता चल जाएगा कि आपका सोना कितना शुद्ध है और कितने कैरेट का जेवर बनाया गया है. यह आपके सोने की शुद्धता को दर्शाता है. इसके लिए कुछ नंबर भी हॉलमार्क के साथ लिखे होते हैं, जिससे आप सोने की शुद्धता की पहचान कर सकते हैं.

हॉलमार्क के पास जहां 999 प्रिंट होता है, वही शुद्ध सोना होता है. इस प्रिंट में केवल गोल्ड कॉइन ही आता है. इसके बाद हॉलमार्क के पास 916 यदि लिखा हो तो वह 22 कैरेट का शुद्ध सोने का जेवर होता है. हॉलमार्क में सील लगी होगी, उससे पता चलता है कि सोना का जेवर कितने कैरेट का है : हरख मालू, पूर्व अध्यक्ष, रायपुर सराफा एसोसिएशन

छत्तीसगढ़ में इन 3 कैरेट का चलन : रायपुर सराफा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हरख मालू आगे बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में 83.3 नंबर वाले गहने मार्केट में ज्यादा प्रचलित है. यह 20 कैरेट का जेवर होता है. 75 नंबर वाले जितनी भी नग वाली चीज आती है, उसके लिए इस्तेमाल होता है. यानी की 18 कैरेट के लिए इस हॉलमार्क को लगाया जाता है. यह तीन तरह के कैरेट ही मार्केट में सबसे अधिक चलन में है.

भारत सरकार के भारतीय मानक ब्यूरो के द्वारा अधिकृत सेंटर में ही हॉलमार्क लगाया जाता है. सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार हॉलमार्क जेवर में लगाकर देते हैं. हम कोई भी जेवर लेकर जाते हैं, तो उसे वह अपने मशीन के द्वारा टेस्ट करते हैं और उसके बाद ही उसमें हॉलमार्क लगाकर वापस देते हैं : हरख मालू, पूर्व अध्यक्ष, रायपुर सराफा एसोसिएशन

हॉलमार्किंग ज्वेलरी की बिक्री होगी अनिवार्य : हरख मालू का कहना है कि भारत में लगभग 400 जिले हैं, जहां पर हॉलमार्क ज्वेलरी बेचना अनिवार्य है. जिस जिले में हॉलमार्क सेंटर नहीं है, वहां भी जल्द हॉलमार्क केंद्र खुलने की संभावना है. उम्मीद की जा रही की 2025 तक पूरे देश में सरकार हॉलमार्किंग ज्वेलरी की बिक्री अनिवार्य करने जा रही है.

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