पटना:बिहार में माइग्रेशन यानीपलायन एक बड़ी समस्या रही है. लाखों लोग नौकरी, रोजगार और शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं. छठमहा पर्व एक ऐसा समय होता है जब प्रवासियों के आंकड़ों का आंकलन किया जाता है.
78 लाख लोग छठ में ट्रेन से पहुंचे : पहले भी छठ में आने वाले प्रवासियों के आंकड़ों से पलायन का अनुमान लगाया जाता था. कुछ साल पहले तक यह आंकड़ा 50 लाख का होता था. लेकिन इस बार छठ के दौरान सिर्फ रेल से 78 लाख लोग बिहार पहुंचे.
विभिन्न स्टेशनों पर उतरे प्रवासी बिहारी : बिहार में छठ महापर्व के दौरान 2 से 7 नवंबर के बीच रेल से 78 लाख बिहार पहुंचे. रेल के आंकड़ों को ही देखें तो पटना के विभिन्न स्टेशनों पटना जंक्शन, राजेंद्र नगर, पटना साहिब, दानापुर में कुल 23.4 लाख लोग छठ के दौरान आए. वहीं उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, दरभंगा, जयनगर, सीतामढ़ी, बेतिया और बापूधाम मोतिहारी स्टेशनों पर 8.97 लाख यात्री उतरे.
चलानी पड़ी सैकड़ों विशेष ट्रेनें :छठ के दौरान देश के विकसित राज्यों के प्रमुख स्टेशनों से बिहार आने वाले लोगों की भीड़ सबने देखा. दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई, हावड़ा जगह से विशेष ट्रेन चलाई गई. 2 नवंबर से 7 नवंबर के बीच पूर्व मध्य रेल क्षेत्राधिकार में 350 से अधिक विशेष ट्रेन चलाए गए 200 विशेष ट्रेन दिल्ली, मुंबई, गुजरात, कोलकाता, बेंगलुरु और चेन्नई से चली.
'रोजगार के लिए निवेशकों को आकर्षित किया जा रहा' :बिहार सरकार के मंत्री का कहना है कि आज भी मजबूरी में कुछ लोग जरूर जाते हैं, लेकिन बिहार सरकार की तरफ से भी बड़ी संख्या में नौकरी और रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. रोजगार के लिए निवेशकों को आकर्षित किया जा रहा है. आने वाला समय बिहार के लिए उज्जवल भविष्य रोजगार के क्षेत्र में होने वाला है.
''मजबूरी में काफी संख्या में लोग दूसरे राज्यों में जाते हैं, लेकिन जो लोग यहां काम करना चाहेंगे उनके लिए यहां काम उपलब्ध भी है. पूरा देश एक है तो कोई भी यदि काम करना चाहता है जहां चाहेगा वहां जा सकता है. हम लोग पलायन रोकने के लिए लगातार काम कर भी रहे हैं.''-जयंत राज, भवन निर्माण मंत्री, बिहार
'पलायन दूसरे राज्यों से भी होता है' :बिहार सरकार के उद्योग एवं पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा का कहना है यदि लोग न्यूनतम जरूरत को पूरा करने के लिए पलायन कर रहे हैं तो यह दुखदाई है. लेकिन बेहतर अवसर के लिए पलायन कर रहे हैं तो यह गलत नहीं है. पलायन दूसरे राज्यों से भी होता है, केवल बिहार से ही नहीं है. यह जरूर है कि हम लोग लगातार कोशिश कर रहे हैं कि बिहार में अधिक से अधिक रोजगार हो और केवल रोजगार ही नहीं स्वरोजगार भी बढ़े.
''मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत कई योजना में लोग अब अपना काम करना चाहते हैं. निवेशक आकर्षित होता है तो निवेश के साथ बड़ी संख्या में रोजगार भी आता है. मुझे विश्वास है जिस संकल्प के साथ हम लोग काम कर रहे हैं, आने वाले समय में बड़े पैमाने पर रोजगार बिहार में पैदा होंगे.''-नीतीश मिश्रा, उद्योग एवं पर्यटन मंत्री, बिहार
बिहार का भविष्य बेहतर होगा- उद्योग मंत्री : नीतीश मिश्रा का कहना है कि बड़े पैमाने पर नौकरी दी जा रही है. हर विभाग में नियुक्तियां निकाली जा रही हैं. पर्यटन के क्षेत्र में भी बड़े-बड़े होटल आ रहे हैं, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार बिहार आएंगे. उद्योग क्षेत्र की बात करें तो, गया में इंडस्ट्रियल पार्क बन रहा है. जिसमें लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा तो आने वाला भविष्य बिहार के लिए बेहतर होने वाला है.
''यदि सरकार यहां काम देती तो दिल्ली, बनारस, कोलकाता, गुजरात और मुंबई क्यों जाते? फिर से दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं.'' - देवेंद्र राम, मुजफ्फरपुर निवासी
बिहार सरकार लगातार कर रही कोशिश :बता दें कि 2016 में नीतीश सरकार ने नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति लाई थी. उसके बाद इथेनॉल पॉलिसी के साथ टेक्सटाइल और लेदर पॉलिसी बनाई गयी. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना भी शुरू की गई है. दो साल पहले बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2022 भी लायी गयी. जिसमें कई तरह की छूट और मदद उस समय दी गई.
लेबर पॉलिसी बनाने की जरूरत- विशेषज्ञ : एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोफेसर विद्यार्थी विकास का कहना है कि पलायन रोकने के लिए स्टडी भी किया गया है. सरकार की तरफ से कई नीति भी बनाई गई है. कई क्षेत्रों में काम भी हो रहा है, लेकिन अभी बहुत काम करने की जरूरत है. खासकर सरकार को लेबर पॉलिसी तैयार करनी चाहिए.