रामपुर/बुशहर:सर्दियों के शुरू होते ही बाजारों में गर्म कपड़ों की डिमांड बढ़ जाती है. इन्हीं गर्म कपड़ों में पश्मीना से बने कपड़े बहुत मशहूर हैं. पश्मीना एक खास तरह की बकरी के बाल होते हैं. यह बकरी भारत में लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के स्पीति और किन्नौर में पाई जाती है इसके अलावा तिब्बत में भी पाई जाती है. इस बकरी को चांगथांगी या चांगथांग कहते हैं. यह बकरी अत्यंत ठंडे इलाकों में पाई जाती है. वैसे पश्मीना से हर तरह के गर्म कपड़े बनाए जाते हैं लेकिन पश्मीना से बने शॉल और मफलर सर्दियों में लोगों की पहली पसंद होते हैं.
हाल ही में संपन्न हुए अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में किन्नौर से आए व्यापारियों द्वारा लाए गए पश्मीना से तैयार किए गए मफलरों और शॉल ने खासा आकर्षण बटोरा. इनकी कढ़ाई, बुनाई और डिजाइन हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देते हैं.
पश्मीना शॉल और मफलर (ETV Bharat) पश्मीना की कीमत
किन्नौर के व्यापारी धर्म लाल नेगी ने बताया पश्मीना की कीमत 15 हजार रुपये प्रति किलोग्राम है. पहले पश्मीना तिब्बत से आता था लेकिन भारत का व्यापार तिब्बत से बंद है इसलिए अब पश्मीना स्पीति घाटी से आता है. अगर पश्मीना के व्यापार के लिए तिब्बत को खोल दिया जाए तो इससे बहुत से युवाओं को रोजगार मिलेगा क्योंकि पश्मीना से बने गर्म कपड़ों की बाजार में बहुत अधिक मांग है.
पश्मीना मफलर और शॉल की कीमत
जैसा की पश्मीना की कीमत 15 हजार रुपये प्रति किलोग्राम होती है उसी तरह से पश्मीना से गर्म कपड़े बनाने के लिए समय भी अधिक लगता है. पश्मीना से बनने वाले शॉल और मफलर पूरी तरह से हेंड मेड होते हैं. व्यापारी धर्म लाल नेगी ने बताया उनके पास पश्मीना शॉल 4500 रुपये से लेकर 38 हजार रुपये तक हैं. इसके अलावा पश्मीना मफलर की कीमत 4 हजार रुपये से लेकर 26 हजार रुपये तक है. पश्मीना ऊन को तैयार करने में काफी मेहनत लगती है इसलिए इनसे बनने वाले प्रोडक्ट्स महंगे होते हैं.
खड्डी पर होता है निर्माण
व्यापारियों ने बताया कि पश्मीना मफलरों और शॉल का निर्माण एक परंपरागत प्रक्रिया है, जो खड्डी (हैंडलूम) पर की जाती है. यह काम अत्यधिक धैर्य और कौशल की मांग करता है. इसमें बुनाई का हर चरण, जैसे धागों का चयन, रंगाई, डिजाइन और अंतिम बुनाई पूरी सावधानी और ध्यान से की जाती है. खड्डी पर तैयार इन मफलरों और शॉल में कारीगर की कला झलकती है. यह मफलर और शॉल ना केवल एक वस्त्र हैं बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर भी है. ठंडी जलवायु में यह गर्माहट प्रदान करते हैं, साथ ही पहनने वाले की शान भी बढ़ाते हैं. खास अवसरों पर इन मफलरों और शॉल को उपहार स्वरूप भी दिया जाता है. इनकी सुंदरता और उत्कृष्टता इन्हें एक आदर्श उपहार बनाती हैं. यही कारण है कि पश्मीना से बनने वाले गर्म कपड़ों की डिमांड अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भी अच्छी खासी है.