रायपुर\सरगुजा\दिल्ली:छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य का मुद्दा एक बार फिर गर्मा रहा है. परसा कोल खदान में पेड़ कटाई का विरोध कर रहे ग्रामीणों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद इस मामले में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी कूद पड़ी है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने साय सरकार पर आदिवासियों के अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया.
हसदेव अरण्य में पेड़ कटाई के विरोध में पुलिस और ग्रामीणों में झड़प:गुरुवार को हसदेव अरण्य में उदयपुर क्षेत्र के ग्राम साल्ही सहित आस-पास के अन्य इलाकों में सैकड़ों पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में पेड़ों की कटाई की जा रही थी. जिसका विरोध वहां के ग्रामीण करने लगे. इस दौरान आदिवासी ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प हो गई. इस दौरान दोनों पक्षों से ग्रामीण, पुलिस अधिकारी, कर्मचारी घायल हो गए.
हसदेव अरण्य में तनाव पर कांग्रेस ने खोला मोर्चा:हसदेव में पेड़ काटने के लेकर हुए हिंसक झड़प के बाद छत्तीसगढ़ सरकार पर आदिवासियों के मौलिक अधिकार का हनन करने का आरोप लगाया है.
राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा-छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के दौरान विधानसभा में सर्वसम्मति से हसदेव के जंगल को न काटने का प्रस्ताव पारित हुआ था - 'सर्वसम्मति' मतलब विपक्ष यानी तत्कालीन भाजपा की भी सम्मिलित सहमति! मगर, सरकार में आते ही न तो उन्हें यह प्रस्ताव याद रहा और न हसदेव के इन मूल निवासियों की पीड़ा और अधिकार. 'बहुजन विरोधी भाजपा' अपने और अपने मित्रों के स्वार्थ की खातिर आम नागरिकों और पर्यावरण को भयावह हानि पहुंचाने को तैयार है.
राहुल ने आगे लिखा- "बहुजन विरोधी भाजपा' अपने और अपने मित्रों के स्वार्थ की खातिर आम नागरिकों और पर्यावरण को भयावह हानि पहुंचाने को तैयार है. आज देश भर के भाजपा शासित राज्यों में ऐसे ही हथकंडों और षड़यंत्रों से आदिवासी अधिकारों पर लगातार आक्रमण किए जा रहे हैं. आदिवासी भाइयों और बहनों के जल, जंगल, जमीन की रक्षा कांग्रेस हर कीमत पर करेगी."
"आदिवासियों पर अत्याचार भाजपा की नीति": वहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने आदिवासियों पर अत्याचार करने का आरोप भाजपा पर लगाया. प्रियंका ने कहा कि जो आदिवासी सदियों से जंगलों के मालिक हैं, उन्हें बेदखल किया जा रहा है.
हसदेव अरण्य मुद्दा:छत्तीसगढ़ के सरगुजा और कोरबा जिले में हसदेव अरण्य 1,70,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है. जिसका क्षेत्रफल देश की राजधानी दिल्ली से भी बड़ा है. हसदेव के घने जंगलों में हो रहे कोयला खनन का विरोध वहां के आदिवासी और एक्टिविस्ट लंबे समय से कर रहे हैं. यहां से फिलहाल राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को कोयला आपूर्ति की जा रही है.जिसके पावर प्लांट की कुल कोयला आवश्यकता साल में लगभग 200 लाख टन है. जिसकी पूर्ति एक चालू खदान परसा ईस्ट केते बासन के सालाना 210 लाख टन कोयला उत्पादन से हो जा रही है. छत्तीसगढ़ के एक्टिविस्ट के अनुसार पर्याप्त कोयला आपूर्ति के बाद भी राजस्थान सरकार परसा और केते एक्सटेंशन में नई कोयला खदानें खोलना चाहती है.