जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर में गुरुवार को एक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर लीवर और हार्ट को भोपाल और इंदौर ट्रांसप्लांट के लिए भेजा गया. आपने गौर किया होगा कि जब किसी मृतक का आर्गन डोनेट किया जाता है तो ग्रीन कॉरिडोर से ही उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाया जाता है. अब सवाल उठता है कि ये ग्रीन कॉरिडोर क्या है. ऑर्गन ट्रांसफर करते समय यह क्यों बनाया जाता है. यह कैसे बनाया जाता है. आज हम इस लेख में इन्ही सवालों का जवाब जानेंगे. इसके अलावा ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांट से जुड़े कई पहलुओं को भी जानेंगे.
ग्रीन कॉरिडोर क्या होता है?
ग्रीन कॉरिडोर एक स्पेशल रूट होता है, जो दो अस्पतालों के बीच बनाया जाता है. एक अस्पताल जहां कोई मरीज अपना अंगदान कर रहा हो और दूसरा वह अस्पताल जहां कोई दूसरे मरीज को यह अंगदान किया जा रहा हो. इन दोनों अस्पतालों को कनेक्ट करने वाले रास्ते को ब्लॉक कर दिया जाता है. जिससे उस रोड पर किसी वाहन की आवाजाही न हो सके और एंबुलेंस की मदद से जल्द से जल्द दान किए हुए अंग को जरूरतमंद तक पहुंचाया जा सके. इस दौरान उस रास्ते पर एक एंबुलेंस और दो सुरक्षा वाहन ही चलते हैं. इस काम में डॉक्टरों की टीम के अलावा पुलिस और प्रशासन का सहयोग भी बहुत महत्वपूर्ण होता है.
उदाहरण के तौर पर गुरुवार को जबलपुर में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से लेकर भोपाल एम्स तक के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, तो जबलपुर के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में डॉक्टरों ने ब्रेन डेड मरीज बलिराम कुशवाहा का हृदय निकाल उसे एक बॉक्स में पैक किया और प्रशासन ने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से लेकर डुमना विमानतल तक पूरे रास्ते को ब्लॉक कर दिया. डॉ संजय मिश्रा का कहना है कि "एक हार्ट को ट्रांसप्लांट करने के लिए मात्र 3 घंटे का समय मिलता है. इसलिए 3 घंटे से कम समय में इसे जबलपुर से भोपाल तक भेजने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाना पड़ा."
अंग प्रत्यारोपण कानून क्या है?
भारत में अंगदान करने के लिए मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 बनाया गया था. इसके तहत अंगदान किया जाता है. भारत सरकार अंग प्रत्यारोपण बढ़ाना चाहती है इसलिए राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम देश में चल रहा है और इसके लिए 149 करोड़ का बजट भी सरकार ने तय किया है.
मध्य प्रदेश में पहली बार हार्ट के लिए ग्रीन कॉरिडोर
मध्य प्रदेश अंग प्रत्यारोपण के मामले में भारत के तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से काफी पीछे है. संयुक्त संचालक स्वास्थ्य डॉ. संजय मिश्रा का कहना है कि यह पहला मामला है जब किसी सरकारी अस्पताल ने मध्य प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण के मामले में हृदय ट्रांसप्लांट करने के लिए कॉरिडोर बनाया गया. जबलपुर में इसके पहले दो निजी अस्पतालों ने भी इस तरह का गलियारा बनाकर अंग दान करवाया लेकिन हृदय के मामले में यह पहला प्रयास था. इसमें चॉपर हेलीकॉप्टर और एक प्राइवेट जेट का इस्तेमाल किया गया.