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प्रदेश में 225 वर्ग मीटर या इससे अधिक भूखंडों में वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली होगी अनिवार्य - Water Harvesting

Rain Water Conservation, राजस्थान में 225 वर्ग मीटर या इससे अधिक क्षेत्रफल के भूखंडों में वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली अनिवार्य होगी. इसका उद्देश्य वर्षा के पानी से भूजल स्तर बढ़ाना है.

Water Harvesting
पुनर्भरण संरचना प्रणाली (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 7, 2024, 7:07 PM IST

जयपुर: राज्य सरकार ने एक परिपत्र जारी कर प्रदेश में वर्षा के पानी से भूजल स्तर बढ़ाने के सम्बन्ध में राज्य जल नीति के अनुसार वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली के निर्माण को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है. इसके लिए पर्यावरण संरक्षण के लिए भवन विनियम 2020 की विनियम 10.11.1 में वर्षा जल संरक्षण एवं संचयन के आवश्यक प्रावधान किया गया है.

इसके अनुसार 225 वर्गमीटर अथवा ज्यादा क्षेत्रफल के भूखंडों में सैटबैक क्षेत्र में भू-गर्भ का जल स्तर बढ़ाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग इकाई एवं संरचना निर्मित करने का प्रावधान अनिवार्य किया है. इसी तरह औद्योगिक क्षेत्रों में रीको भवन विनियमन 2021 के अनुसार 500 वर्ग मीटर एवं इससे अधिक क्षेत्रफल के भूखंडों में वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली का निर्माण किया जाना अनिवार्य है. यह जानकारी जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल विभाग के शासन सचिव समित शर्मा ने दी.

वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली के बाद ही जारी होगा अनापत्ति प्रमाण-पत्र : शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली का निर्माण उसके मालिक अथवा उसमे रहने वाले व्यक्ति द्वारा करवाया जाएगा. जब तक भवन के मालिक या रहवासी की ओर से वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली का निर्माण नहीं करवाया जाता है, तब तक संबंधित नगर निकाय नगर निगम, परिषद एवं पालिका भवन में नए जल कनेक्शन के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र एवं अधिवास प्रमाण पत्र जारी नहीं करेगा. उन्होंने बताया कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 238 (7) के प्रावधान के अनुसार ऐसे दोषी भवन मालिकों के विरुद्ध कारावास अथवा जुर्माने की कार्रवाई के लिए सक्षम न्यायालय में चालान किया जा सकता है.

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वर्षा जल संचयन संरचना के निर्माण के बाद ही जारी होगा पेयजल कनेक्शन : शासन सचिव समित शर्मा ने बताया कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से बहुमंजिला भवनों में पेयजल कनेक्शन जारी किए जाने की नीति के अनुसार राजस्थान भवन विनियम 2020 के प्रावधानों के तहत वर्षा जल संचयन संरचना का निर्माण किया जाना अनिवार्य होगा. इसकी पालना नहीं होने की स्थिति में पेयजल कनेक्शन जारी नहीं किया जाएगा. उन्होंने बताया कि 225 वर्ग मीटर अथवा ज्यादा क्षेत्रफल के भवनों में पेयजल कनेक्शन स्वीकृति की प्रक्रिया में वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली के निर्माण के बाद ही पेयजल कनेक्शन जारी किया जाएगा.

औद्योगिक श्रेणी के पेयजल कनेक्शन के लिए मौके पर होगा प्रमाणीकरण : शासन सचिव समित शर्मा ने बताया कि औद्योगिक श्रेणी के पेयजल कनेक्शन के लिए वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली का सम्बन्धित कनिष्ठ अभियन्ता अपने क्षेत्राधिकार में 100 प्रतिशत पेयजल आवेदनों का मौके पर जाकर प्रमाणीकरण करेगा. सहायक अभियन्ता 40 प्रतिशत, अधिशाषी अभियन्ता 5 प्रतिशत एवं अधीक्षण अभियन्ता 2 प्रतिशत पेयजल कनेक्शन आवेदनों पर निरीक्षण कर प्रमाणीकारण सुनिश्चित करेंगे. प्रमाणीकरण पेयजल कनेक्शन आवेदन पत्रावली में संलग्न करना आवश्यक होगा. उन्होंने बताया कि यह प्रावधान विभिन्न विभागों एवं संस्थानों के डिपोजिट कार्य पर भी प्रभावी होंगे. साथ ही रीको क्षेत्र में औद्योगिक श्रेणी के पेयजल कनेक्शन के लिए स्वीकृति प्रक्रिया में मौके पर इसका निरीक्षण कर प्रमाणीकरण किया जाए.

आपको बता दें कि क्रेन्दीय भूमि जल प्राधिकरण की ओर से जारी डायनमिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्सेज इंडिया 2023 रिपोर्ट के अनुसार राज्य में कुल 302 भू-जल ब्लॉक में से 216 भू-जल ब्लॉक (71 प्रतिशत) अतिदोहन श्रेणी में है.

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