उमरिया. बांधवगढ़ नेशनल पार्क (Bandhavgarh national park) में आपने बाघों की गणना के बारे में सुना होगा पर इसबार बाघों की नहीं गिद्धों की काउंटिंग (Vulture counting) शुरू हुई है. 3 दिवसीय गिद्धों की गणना में वन कर्मी घूम-घूम कर गिद्धों को काउंट कर रहे हैं और प्रपत्र भरकर लोकेशन समेत तमाम जानकारियां एकत्र कर रहे हैं. आपको बता दें कि भारत में कुल सात प्रजातियों के गिद्ध पाए जाते हैं, जिसमें से चार यहां की मूल प्रजाति हैं और तीन प्रवासी प्रजातियां हैं.
पर्यावरण में गिद्ध की अहम भूमिका
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा ने गिद्धों की काउंटिंग (Vulture counting) की जानकारी देते हुए कहा, 'कम ही लोग जानते हैं कि जंगलों की सफाई में गिद्ध कितनी अहम भूमिका निभाते हैं. जंगल को महामारी से बचाने के लिए वन प्रबंधन गिद्धों की संख्या बनाए रखने के प्रयास करता है. प्रकृति के सफाईकर्मी के रूप में गिद्ध जिस पर्यावरण में रहते हैं, उसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उनका सफाई करने का व्यवहार पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है और संभवतः बीमारी के प्रसार को कम करता है.'
इस वजह से होती है गिद्धों की गणना
डिप्टी डायरेक्टर ने आगे बताया, 'गिद्ध जानवरों के शवों का कुशलतापूर्वक उपभोग करके शवों को इकट्ठा करने और प्रसंस्करण संयंत्रों तक ले जाने की आवश्यकता को समाप्त कर देते हैं. इससे हमें हर साल कचरा प्रबंधन में लाखों रु की बचत होती है. यही कारण है कि हर साल जंगलों में गिद्धों की गिनती की जाती है. लोग सोचते हैं कि शेर, तेंदुआ, तेंदुआ, जंगली कुत्ते और सियार जंगली जानवरों के मुख्य शिकारी हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। ‘मांसाहारी (स्तनधारी) इसका केवल 36 प्रतिशत ही खा सकते हैं और बाकी गिद्धों के पास चला जाता है. बैक्टीरिया और कीड़े इस संसाधन के लिए गिद्धों से प्रतिस्पर्धा करते हैं, फिर भी गिद्ध इसमें सबसे आगे हैं.'