अजमेर में रूठे इंद्रदेव को मनाने के लिए वृष्टि यज्ञ (ETV BHARAT AJMER) अजमेर.जल जीवन है. धरती पर जल रहेगा तो हमारा कल रहेगा. अन्न और जल के लिए बारिश का होना बेहद जरूरी है. जहां तक बात हमारे देश का है तो भारत एक कृषि प्रदान देश है. यहां के अधिकांश क्षेत्रों में कृषि बारिश पर निर्भर है. वहीं, हमारा भविष्य भी बारिश पर टिका है. इन दिनों भीषण गर्मी की वजह से धरती तप रही है और जल का तेजी से वाष्पीकरण हो रहा है. हालांकि, बारिश के दिन नजदीक है और मानसून का सभी को बेसब्री से इंतजार है. अजमेर में औसतन बारिश 450 से 500 एमएम तक होती है, जो पर्याप्त नहीं है. कई बार तो 400 एमएम से भी कम बारिश होती है. यही वजह है कि महर्षि दयानंद निर्वाण स्मारक पर बारिश के लिए पिछले 5 सालों से मानसून की दस्तक से ठीक एक माह पहले वृष्टि यज्ञ की शुरुआत होती है. इस साल 11 जून से महर्षि दयानंद सरस्वती न्यास की ओर से प्रतिदिन सुबह व शाम को विश्व कल्याण, शांति और पर्यावरण शुद्धि के साथ ही बारिश के लिए यज्ञ किया जा रहा है. इस यज्ञ के सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं. बीते चार सालों से अजमेर में अच्छी बारिश हुई है. वहीं, इस बार भी अच्छी बारिश की कामना के साथ यज्ञ शुरू हो चुका है.
जल सभी के लिए जरूरी :महर्षि दयानंद निर्वाण स्मारक न्यास के आचार्य जागेश्वर प्रसाद निर्मल ने बताया कि जल का संबंध हर प्राणी से है. ऋषियों ने वर्षा को मंत्रों के जरिए साधने का आविष्कार किया था. पर्यावरण में जब भी प्रदूषण देखा गया तब ऋषियों ने यज्ञ किया और उस यज्ञ से पर्यावरण की शुद्धि हुई. उन्होंने बताया कि यज्ञ में जो सामग्री डाली जाती है वो ऋतु से संबंधित होती है. यानी जिस ऋतु में जो बीमारी होती है, उसका निदान भी यज्ञ के माध्यम से किया जाता है. उन्होंने बताया कि गर्मी के दिनों में ऊष्मा ज्यादा बनती है और जल का वाष्पीकरण अधिक होता है. इससे मानसून बनता है. यह मानसून विभिन्न क्षेत्रों में जाकर बारिश करता है.
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वैदिक मंत्र से बारिश :उन्होंने बताया कि यज्ञ के लिए वैदिक मित्रों का उच्चारण होता है. यह मंत्र बारिश को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और वृष्टि करवाते हैं. यज्ञ का संबंध वृक्षों से भी है, जहां भी यज्ञ होते हैं वहां वृक्ष और हर प्रकार की वनस्पति हुआ करती है और लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. उन्होंने कहा कि यज्ञ एक प्रकार की शक्ति है, जिसका उपयोग कोई भी कर सकता है. शरीर में नाड़ियों में वायु का प्रवाह नहीं होता है तब यज्ञ के मंत्र और सुगंध से नाड़ियों का शोधन होता है. यानी रोग से निदान, पर्यावरण की शुद्धि, प्राणियों के कल्याण और बारिश के लिए यज्ञ के लिए अलग-अलग सामग्री और मंत्र हैं.
पुनर्वसु नक्षत्र से हुई यज्ञ की शुरुआत : आचार्य जागेश्वर प्रसाद निर्मल ने बताया कि भोपाल गैस त्रिसादी के बारे में सभी जानते हैं. उस दौरान जिन घरों में प्रतिदिन यज्ञ हुआ करते थे, वहां रहने वाले लोगों पर गैस का प्रभाव कम पड़ा था. उसके बाद उन लोगों ने प्रभावित क्षेत्रों में भी यज्ञ किए गए थे, जिसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले. शास्त्रों में ऋषियों ने बताया है कि यज्ञ करने से प्राणियों का कल्याण होता है. उन्होंने बताया कि यज्ञ में पौष्टिक और सुगंधित पदार्थ के अलावा कई प्रकार की औषधियां डाली जाती है. बारिश के लिए किए जा रहे हैं यज्ञ को पुनर्वसु नक्षत्र से शुरू किया गया था. मान्यता है कि इस विशेष नक्षत्र से यज्ञ की शुरुआत करने से सुफल की प्राप्ति होती है.
यज्ञ के सकारात्मक प्रभाव को किया महसूस :महर्षि दयानंद निर्वाण स्मारक में होने वाले यज्ञों में 2011 से आ रही पुष्पा क्षेत्रपाल बताती हैं कि स्मारक पर प्रतिदिन यज्ञ होते हैं. यह यज्ञ काफी विशेष है. इस यज्ञ के माध्यम से वर्षा की कामना की जाती है. इस यज्ञ से वर्षा होती है और इसका हमने अनुभव भी किया है. यज्ञ से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और वातावरण शुद्ध होता है. उन्होंने बताया कि यज्ञ से उन्हें लगाव है. पहले सुबह आया करती थी और अब वर्षा के लिए किए जा रहे यज्ञ में प्रतिदिन शामिल होकर आहुति देती हैं.
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मंत्रों में है मेघों को आकर्षित करने की शक्ति :पूर्व विधायक व न्यास पदाधिकारी डॉ. श्रीगोपाल बाहेती ने बताया कि अच्छी बारिश की कामना के साथ 11 जून से वृष्टि यज्ञ की शुरुआत हुई है. यज्ञ के पहले दिन संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा अतिथि थे. वेद में वर्षा के लिए मंत्र है और उन मंत्रों का उच्चारण यज्ञ के साथ किया जाता है. यज्ञ में विशेष प्रकार की सामग्री डाली जाती है. इसके प्रभाव से बारिश होती है. विगत 5 वर्षों से यह वृष्टि यज्ञ होते आ रहा है. इसके प्रभाव को भी देखा गया है. डॉ. बाहेती ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है और कृषि बारिश पर निर्भर है. इसलिए वर्षा का समय पर और पर्याप्त मात्रा में होना आवश्यक है. ताकि किसान और हर वर्ग प्रसन्न रहे. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से आमजन से भी अपील की है कि वे वृष्टि यज्ञ में शामिल होकर वर्षा की कामना के साथ आहुति दें. ताकि बादलों को आकर्षित किया जा सके.
न्यास के महामंत्री सोमरत्न आर्य ने बताया कि यहां हर साल एक माह तक वृष्टि यज्ञ का आयोजन होता है. इस वृष्टि यज्ञ में एक ही वैदिक मंत्र की 108 बार उच्चारण के साथ यज्ञ वेदी में आहुतियां दी जाती है. आर्य ने कहा कि यज्ञ का प्रभाव भी देखने को मिल रहा है. यज्ञ के पहले दिन से बारिश का वातावरण बना हुआ है. उन्होंने कहा कि वेदों के मंत्रों में इतनी शक्ति है कि वो वातावरण को बदल सकते हैं. वृष्टि यज्ञ के संपन्न होने पर ईश्वर से अच्छी बारिश की कामना की जाती है.