सिरसा : हरियाणा की हाईप्रोफाइल सीटों में सिरसा भी है क्योंकि यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुकी कुमारी शैलजा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में है और वे कांग्रेस के पूर्व सांसद रह चुके बीजेपी के कैंडिडेट अशोक तंवर को टक्कर दे रही हैं.
सिरसा की टक्कर में कौन ? :सिरसा से उम्मीदवारों की बात की जाए तो यहां से कुल 34 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था जिसमें से 26 नामांकन मंजूर किए गए. वहीं 7 को रिजेक्ट कर दिया गया. यहां से एक उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया और अब कुल 19 प्रत्याशी चुनावी मैदान में है. सिरसा लोकसभा सीट की अगर बात करें तो यहां बीजेपी ने अशोक तंवर को मैदान में उतारा है. दिलचस्प बात है कि अशोक तंवर एनएसयूआई के सचिव और अध्यक्ष रह चुके हैं और साल 2009 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर सिरसा से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. उन्होंने इसी साल बीजेपी जॉइन की जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें सिरसा से लोकसभा का टिकट दे दिया. वहीं कांग्रेस ने यहां से कुमारी शैलजा को मैदान में उतारा है. वे सिरसा से सांसद भी रह चुकी हैं और यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं. यहां पर ये बात भी रोचक है कि कुमारी शैलजा और अशोक तंवर दोनों ही हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं और अब दोनों आमने-सामने हैं. वहीं जननायक जनता पार्टी (JJP) ने यहां से रमेश खटक को मौका दिया है. जबकि इंडियन नेशनल लोकदल यानि इनेलो (INLD) ने संदीप लोट वाल्मीकि को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया है.
सिरसा लोकसभा में वोटर्स की तादाद :सिरसा लोकसभा में अगर मतदाताओं की बात करें तो यहां पर कुल 19,32,854 वोटर्स है जो इस बार लोकसभा चुनाव में अपने वोट का इस्तेमाल करने वाले हैं. इनमें पुरुष वोटर्स की तादाद 10,20,922 है , जबकि 9,11,891 महिला मतदाता है. वहीं सिरसा लोकसभा में 41 थर्ड जेंडर मतदाता भी शामिल है.
सिरसा लोकसभा में 3 जिलों की 9 विधानसभा :सिरसा लोकसभा सीट की अगर बात की जाए तो इसमें 3 जिलों की 9 विधानसभा सीटें आती है. इसमें जींद जिले की नरवाना, जबकि फतेहाबाद जिले की टोहाना, फतेहाबाद, रतिया विधानसभा सीटें आती है. वहीं सिरसा जिले की कालांवाली, डबवाली, रानियां, सिरसा, ऐलनाबाद विधानसभा सीटें आती हैं.
सिरसा लोकसभा का जातिगत समीकरण :सिरसा लोकसभा के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां जाट समुदाय के करीब साढ़े 3 लाख, जाट सिख समुदाय के 2 लाख वोट हैं. इसके अलावा पंजाबी समुदाय के करीब सवा 1 लाख, बनिया समुदाय के 1 लाख, बिश्नोई समुदाय के 60 हजार, ब्राह्मण समुदाय के 70 हजार, कंबोज समुदाय के 1 लाख मतदाता हैं.
सिरसा लोकसभा सीट का इतिहास:सिरसा लोकसभा सीट के इतिहास की बात की जाए तो सिरसा लोकसभा सीट 1962 में अस्तित्व में आई थी. सिरसा लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. कांग्रेस यहां से 9 बार जीत का परचम लहरा चुकी है, जबकि बीजेपी को मोदी लहर में साल 2019 में यहां कमल खिलाने का मौका मिला. ऐसे में दोबारा से सिरसा सीट को जीतना बीजेपी के लिए किसी चैलेंज से कम नहीं है.