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एक ही पत्थर को काटकर बना है ये अद्भुत शिव मंदिर, पांडवों से जुड़ा है इसका इतिहास - kullu vishweshwar temple - KULLU VISHWESHWAR TEMPLE

VISHWESHWAR TEMPLE KULLU BAJAURA: कुल्लू के बजौरा स्थित शिव मंदिर को विश्वेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर नागर शैली में बना है. इसका निर्माण एक ही शिला को काटकर किया गया है. माना जाता है कि इसका इतिहास पांडवों के अज्ञातवास से जुड़ा है.

विश्वेश्वर महादेव मंदिर
विश्वेश्वर महादेव मंदिर (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 9, 2024, 3:25 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की भूमि है. यहां के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है. हिमाचल में देवी-देवताओं के हजारों मंदिर हैं. इन मंदिरों का इतिहास हजारों साल पुराना है. आज भी इन मंदिरों की दीवारें इतिहास की गवाही देती हैं. हिमाचल से पांडवों का भी इतिहास जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि वनवास के दौरान पांडवों ने अपना अज्ञातवास का लंबा समय हिमाचल के पहाड़ों में बिताया था. अपने अज्ञातवास के दौरान उन्होंने कई मंदिरो का भी निर्माण किया.

जिला कुल्लू के बजौरा स्थित भगवान शिव का एक मंदिर है. माना जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया था और यह पूरा मंदिर एक पत्थर से ही बना हुआ है. बजौरा में बने इस मंदिर को विश्वेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. भगवान शिव के इस मंदिर में उकेरी गई नक्काशी आज भी उत्कृष्ट कलाकारी को दर्शाती है. यह मंदिर अब भारतीय सर्वेक्षण एवं पुरातत्व विभाग के अधीन है. यह मंदिर इस क्षेत्र की आस्था का केंद्र है. यहां हर साल बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं और यह मंदिर कुल्लू जिले के सबसे बड़े धार्मिक स्थलों में से एक है.

विश्वेश्वर महादेव मंदिर (ETV BHARAT)

दीवारों पर की गई है अद्भुत नक्काशी

बजौरा में ब्यास नदी के तट पर स्थित विश्वेशर महादेव मंदिर एक असाधारण मंदिर है. यह धार्मिक स्थल अपनी पत्थर की नक्काशी, चमत्कारिक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर को नागर शैली में बनाया गया है. मंदिर की आंतरिक और बाहरी दीवारों पर अद्भुत नक्काशी की गई है. यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर की अद्भुत नक्काशी देखकर चौंक जाते हैं.

अन्य देवताओं की भी हैं लघु मूर्तियां

मंदिर परिसर में कई अन्य छोटे-छोटे मंदिर भी स्थित है,जो विभिन्न देवताओं को समर्पित हैं. यहां हिंदू देवता भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी, स्त्री शक्ति की अवतार माता दुर्गा और भगवान गणेश की लघु मूर्तियों के भी दर्शन होते हैं. यहां पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. खासकर महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि जो भी श्रद्धालु भगवान शिव के दरबार में सच्चे मन से दर्शन करने के लिए आता है. उसकी हर सभी मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होती हैं.

नागर शैली में हुआ है मंदिर का निर्माण

प्रदेश के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. सूरत ठाकुर का कहना है कि यह मंदिर काफी प्राचीन है. यहां सावन माह और शिवरात्रि के दिन श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि पांडव जब अज्ञातवास पर हिमालय की यात्रा कर रहे थे. उस दौरान पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया है. वहीं, आसपास के इलाके में खुदाई करने पर भी यहां पर बड़ी-बड़ी शिलाएं मिली हैं, जिन्हें पुरातत्व विभाग के द्वारा संरक्षित कर लिया गया है.

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