पटनाः 17 सितंबर को एक साथ अनंत चतुर्दशी और विश्वकर्मा पूजा का संयोग बन रहा है. एक ही दिन शृष्टि के पालनकर्ता और शिल्पकार की पूजा अर्चना की जाएगी. इस मौके पर बिहार की राजधानी पटना सहित सभी जिलों में तैयारी पूरी हो गयी है. दोनों पूजा धूमधाम से मनायी जा रही है. आईये दोनों पूजा के शुभ मुहुर्त और विधि के बारे में जानते हैं.
धूमधाम से मनायी जाएगी विश्वकर्माःविश्कर्मा पूजा भी धूमधाम से मनाने की तैयारी है. आचार्य मनोज मिश्रा के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा के सातवें पुत्र हैं. इन्हें संसार का शिल्पकार भी कहा जाता है. मान्यता है कि इन्होंने शृष्ट का निर्माण करने में ब्रह्मा की मदद की. दुनियां का सबसे पहला इंजीनियर विश्वकर्मा ही हैं. इन्होंने ही सृष्टि का मानचित्र बनाया था.
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्तः हर साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाया जाता है. कन्या संक्रांति के मौसे पर विश्वकर्मा पूजा की जाती है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबस सूर्योदस से 11:42 बजे तक है. अभिजित मुहूर्त 11:51 से 12:42, अमृत काल 7 से 83:25 और गोधुलि मुहूर्त 0625 से 648 तक है.
गणेश चतुर्थी के 10वें दिन अनंत चतुर्दशीः आचार्य मनोज मिश्रा के अनुसार अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ साथ गणेश पूजा का विसर्जन भी किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी के 10वें दिन अनंत चतुर्दशी मनाया जाता है. इसबार मंगलवार 17 सितंबर को रखा गया है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार सहित कई नेताओं ने विश्वकर्मा पूजा की शभकामनाएं दी है.
अनंत पूजा का शुभ मुहूर्तः मनोज मिश्रा के अनुसार चतुर्दशी की शुरुआत 16 सितंबर दोपहर 3:10 से 17 सितंबर सुबह के 11:44 पर हो रहा है. ऐसे में गणेश पूजा का मुहुर्त सुबह के समय ही है. अनंत चतुर्दशी पूजा सुबह के 06 बजे से 7:51 तक कर सकते हैं. पूजा नेम निष्ठा के साथ करना चाहिए. विधि विधान का ख्याल रखना चाहिए.
पीले रंग का वस्त्र धारण करेंः अच्छे से स्नान ध्यान कर नव वस्त्र धारण कर पूजा करना चाहिए. पीले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए. भगवान को भोग में फल मिठाई और अन्य प्रकार का भोग लगा सकते हैं. इस दिन गणेश प्रतिमा का भी विसर्जन कर सकते हैं. पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद का वितरण करें. इस पूजा में धागा से बना अनंत भी चढाया जाता है जिसे बाजू में बांधा जाता है. इससे घर में सुख समृद्धि आती है.
ऋषि कौंडिन्य की पत्नी ने की थी अनंत पूजाः पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में सुमंत नामक ब्राह्मण पुत्र दीक्षा और सुशीला के साथ रहता था. सुशीला विवाह योग्य हुई तो उसके मां का निधन हो गया. सुमंत ने अपनी बेटी का विवाद ऋषि कौंडिन्य से कर दिया. विवाह के बाद ऋषि पत्नी को लेकर जा रहे थे. शाम का वक्त हो गया था. रास्ते में कुछ महिला अनंत पूजा कर रही थी.
ऋषि न तोड़ दिया था अनंत धागाः सुशीला भी उनसे पूजा सीखी और बाजू में 14 गांठों वाला अनंत धागा बांधा. लेकिन इसे ऋषि ने तोड़ दिया जिससे श्रीहरि का अपमान हुआ. ऋषि के सारे संपत्ति नष्ट हो गए. जंगल भटकने लगे तभी अनंत भगवान प्रकट होकर अनंत व्रत करने की सलाह दी. ऋषि ने व्रत रखा तो उनके सारे कष्ट दूर हो गए.
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