सागर: बुंदेलखंड के दिग्गज नेताओं में शुमार और मोदी सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र कुमार अपने ही लोकसभा क्षेत्र में ऐसे घिरे कि बैकफुट पर आ गए. हालांकि, शुरुआत में तो उन्होंने तीखे तेवर दिखाए, लेकिन स्थानीय नेताओं के सामूहिक विरोध और खुद के बनाए प्रतिनिधि पर पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज होने के बाद वीरेन्द्र कुमार ने सोमवार रात पत्र जारी कर विभिन्न विभागों और कार्यालयों में बनाए गए 104 सांसद प्रतिनिधियों को हटा दिया है. माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमार अब नए सिरे से सबकी सहमति से अपने प्रतिनिधि की सूची जारी करेंगे.
मंत्री के प्रतिनिधियों की सूची पर मचा बवाल
मोदी सरकार के मंत्री वीरेन्द्र कुमार वैसे तो सादगी भरी राजनीति के लिए जाने जाते हैं, लेकिन पिछले एक पखवाडे से उनके संसंदीय क्षेत्र टीकमगढ़ में उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा है. उसको देखकर लगता है कि टीकमगढ के भाजपा नेताओं को केंद्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमार की कामकाज की शैली ठीक नहीं लगी. हालात ये बने कि केंद्रीय मंत्री के विरोध में भाजपा के विधायक, पूर्व विधायक और कई जनप्रतिनिधि खड़े हो गए. दरअसल, पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमार ने सांसद प्रतिनिधि के तौर पर टीकमगढ संसदीय क्षेत्र के तीनों जिलों में करीब 104 सांसद प्रतिनिधियों की नियुक्ति की थी. सूची सामने आते ही टीकमगढ़ भाजपा में हडकंप मच गया और पार्टी के नेता खुली तौर पर बगावत पर उतर आए.
भाजपा के कई नेताओं ने किया था विरोध
भाजपा के टीकमगढ़ से पूर्व विधायक राकेश गिरी, उमा भारती के भतीजे व पूर्व विधायक राहुल सिंह लोधी, छतरपुर की विधायक ललिता यादव और कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए मानवेन्द्र सिंह ने खुले तौर पर बयानबाजी की. दोनों पूर्व विधायकों ने तो बाकायदा टीकमगढ़ में प्रेसवार्ता बुलाकर मंत्री के बनाए प्रतिनिधियों पर जमकर एतराज जताया. उनका कहना था कि हमें इस बात से एतराज नहीं है कि मंत्री ने अपने प्रतिनिधि नियुक्त किए हैं, लेकिन जिन नेताओं को प्रतिनिधि बनाया है उनकी जानकारी और करतूतों के बारे में पता कर लेना चाहिए था. मंत्री के बनाए प्रतिनिधियों ने विधानसभा चुनाव में भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ काम किया. कई प्रतिनिधि अवैध और गैर कानूनी क्रियाकलापों में लिप्त हैं. ऐसे लोगों को प्रतिनिधि नहीं बनाना था.
पहले सख्त तेवर में दिखे थे केंद्रीय मंत्री
इस तरह खुलेआम विरोध होने पर पहले तो केंद्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमार ने भी सख्त तेवर अपना लिए थे. उनका कहना था कि ''मैंने पार्टी के ही कार्यकर्ताओं के बीच में से प्रतिनिधि नियुक्त किए हैं. मैं सागर से टीकमगढ़ राजनीति करने पहुंचा और पार्टी के जो कार्यकर्ता टीकमगढ़ में मिले, उनके साथ ही काम किया. मैं कोई सागर से नेता लेकर नहीं गया था.'' उनका कहना था कि राजनीति में सब को खुश नहीं किया जा सकता है.