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बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की मांग लेकर सड़कों पर उतरे ग्रामीण, हरीश रावत ने दिया समर्थन

Demand to make Bindukhatta revenue village नैनीताल के बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने समेत 10 मांगों को लेकर ग्रामीणों ने जुलूस निकाला. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लालकुआं पहुंचकर ग्रामीणों को समर्थन दिया.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 21, 2024, 7:41 PM IST

हल्द्वानी:उत्तराखंड के सबसे बड़े गांव बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने और गौला नदी में तटबंध निर्माण की मांग समेत 10 सूत्रीय मांगों को लेकर नैनीताल के लालकुआं में स्थानीय लोगों ने जुलूस निकाला. सैकड़ों की संख्या में लोगों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अपनी मांगों को जल्द पूरा करने की मांग की. पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी जुलूस में शामिल होकर समर्थन दिया.

बिंदुखत्ता संघर्ष समिति के बैनर तले बुधवार को शहीद स्मारक स्थल पर आयोजित विशाल धरना प्रदर्शन में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी समेत कई विधायक शामिल हुए. इस दौरान हरीश रावत ने भाजपा पर जमकर हमला बोला और कहा कि बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने के लिए उन्होंने काफी प्रयास किया. इसके लिए उनकी सरकार रहते हुए बिंदुखत्ता को नगर पालिका बनाया गया. लेकिन जनता को गुमराह कर भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने नगर पालिका के आदेश को वापस करवा दिया. जिसका नतीजा है कि आज बिंदुखत्ता के लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

बिंदुखत्ता संघर्ष समिति के तत्वधान में आयोजित धरना प्रदर्शन एवं जनसभा के दौरान कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं और भाकपा माले के नेताओं ने केंद्र एवं राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. भुवन कापड़ी ने कहा कि हरीश रावत सरकार के दौरान बिंदुखत्ता को नगर पालिका का दर्जा देकर यहां विकास के नए आयाम स्थापित करने का प्रयास किया गया था. लेकिन भाजपा नेताओं ने इसका भारी विरोध कर इस क्षेत्र के लोगों को नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि राज्य एवं केंद्र सरकार यहां के लोगों को राशन देने के बजाय उन्हें रोजगार मुहैया कराए तो पहाड़ के युवाओं को लाभ मिलेगा. उन्होंने सरकार पर विकास के कार्य पूरी तरह ठप करने और जुमलेबाजी करने का आरोप लगाया.

जुलूस शहीद स्मारक से धरना प्रदर्शन शुरू होते हुए लालकुआं तहसील पहुंचा, जहां एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाए जाने, गोला नदी में बनने वाले तटबंध को जल्द बनाने और ग्रामीण क्षेत्र में आवारा जानवरों से निजात दिलाने की मांग की. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.

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