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पहाड़ की हकीकत! मरीज को डंडी कंडी पर लादकर 9 किमी पैदल चले ग्रामीण, फिर भी नहीं बची जान

Villagers Took Elderly Man to Hospital भले ही सरकार और उनके नुमाएंदे विकास के नगमे गाएं, लेकिन हकीकत क्या है? ये उन तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है. जिसमें आज भी ग्रामीण एयर एंबुलेंस के जमाने में मरीज को डंडी कंडी पर लादकर मीलों दूरी नाप रहे हैं. ऐसी ही तस्वीरें चकराता उदांवा गांव से सामने आई है. जहां बुजुर्ग को 9 किमी कंधे पर उठाकर ग्रामीण सड़क मार्ग तक पहुंचे. जहां से बुजुर्ग को अस्पताल भी ले गए, लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी.

Villagers Took Elderly Man to Hospital on Dandi Kandi
डंडी कंडी पर मरीज

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 21, 2024, 3:15 PM IST

Updated : Feb 21, 2024, 6:22 PM IST

मरीज को डंडी कंडी पर लादकर 9 किमी पैदल चले ग्रामीण

विकासनगर:उत्तराखंड ने इन 24 सालों में 10 मुख्यमंत्री के चेहरे देख लिए हैं, लेकिन उन्होंने विकास कितना किया? इसका जवाब वो लोग दे सकते हैं, जो मरीजों को कंधों पर लादकर कई किलोमीटर पैदल चलते हैं. ऐसी ही तस्वीरें चकराता से सामने आया है. जहां एक बुजुर्ग की तबीयत खराब हो गई. ऐसे में ग्रामीण डंडी कंडी के सहारे बुजुर्ग को लेकर करीब 9 किलोमीटर पैदल चले और सड़क तक पहुंचाया. जहां से उसे अस्पताल में पहुंचाया गया, लेकिन बुजुर्ग की जान नहीं बच पाई.

बता दें कि चकराता विधानसभा का दूरस्थ गांव उदांवा आजादी के 75 साल बाद भी एक अदद सड़क के लिए तरस रहा है. अभी भी उदांवा गांव विकास से कोसों दूर है. इस गांव में करीब 30 परिवार रहते हैं. बीती 13 फरवरी को गांव में एक बुर्जुग की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी. सड़क न होने की वजह से ग्रामीणों ने बुर्जुग को अस्पताल पहुंचाने के लिए डंडी कंडी का इंतजाम किया. फिर उस पर बैठाकर ग्रामीण पैदल निकल पडे.

डंडी कंडी के सहारे मरीज को ले जाते ग्रामीण

ग्रामीणों ने कंधे पर मरीज को लादकर पगडंडी नुमा उबड़ खाबड़ और बर्फीले रास्तों से होकर करीब 9 किमी की दूरी तय की. तब जाकर कहीं ग्रामीण सड़क चकराता त्यूनी मोटर मार्ग पर पहुंचे. यहां तक पहुंचने में उन्हें कई घंटे लग गए. चकराता त्यूनी मोटर मार्ग पर पहुंचने के बाद ग्रामीण निजी वाहन से मरीज को विकासनगर के सरकारी अस्पताल ले गए.

विडंबना देखिए सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों ने इलाज करने से हाथ खड़े कर दिए. जहां से डॉक्टरों ने बुजुर्ग को हायर सेंटर रेफर कर दिया. जहां देहरादून से भी एम्स ऋषिकेश ले जाया गया. जहां इलाज के दौरान 14 फरवरी को मरीज ने दम तोड़ दिया. उदांवा गांव के निवासी मुन्ना सिंह बताते हैं कि अगर गांव में सड़क होती तो समय से मरीज को अस्पताल पहुंचाया जा सकता था. जिससे बुजुर्ग मरीज की जान बच सकती थी.

बर्फ बीच मरीज को लेकर चले ग्रामीण

इससे पहले भी दो मरीज तोड़ चुके हैं दम: ग्रामीण मुन्ना सिंह ने बताया कि यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी दो मरीजों को समय से इलाज न मिलने पर मौत हो चुकी है. 9 किमी की पैदल चढ़ाई पार करने में समय लगता है. उसके बाद ही मुख्य मोटर मार्ग तक पहुंचा जा सकता है. यदि उनके गांव में सड़क बनी होती तो इस तरह की समस्या न होती.

सड़क की मांग को लेकर कई बार लगा चुके गुहार: उन्होंने कहा कि कई बार क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और सरकार से उदांवा गांव के लिए मोटर मार्ग की मांग कर चुके हैं. इसके अलावा जिलाधिकारी के जनता दरबार में भी फरियाद की जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो पाई. उन्होंने सरकार से उदांवा गांव को मोटर मार्ग से जोड़ने की मांग की.

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Last Updated : Feb 21, 2024, 6:22 PM IST

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