उत्तरकाशी: लगभग डेढ़ दशक पूर्व आपदा में बही 9 गांवों की आवाजाही व खेती करने की सहूलियत लिए कमल नदी पर बना पैदल पुल बीच नदी में लटका पड़ा है. जिसके बनने की राह देखते-देखते ग्रामीण अब मायूस हो चुके हैं. वहीं लोक निर्माण के अधिशासी अभियंता बलराज मिश्रा ने कहा कि पुल के लिए शासन को डीपीआर भेजी गई है,शासन से अनुमति मिलते ही पुल का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
ग्रामीणों को आए दिन होती है परेशानी:ग्रामीण बिशन रावत, धनबीर सिंह, प्रहलाद रावत, स्रवण रावत, बलदेव रावत आदि ग्रामीणों ने बताया की 9 गांवों की खेती नदी के दोनों तरफ है. आम दिनों में ग्रामीण अपने हल बैल नदी को पार करके ले जाते हैं, लेकिन बरसात में नदी का जलस्तर बढ़ने से लगभग 7 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी नापकर खेतों में पहुंचना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि चक चंदेली व खलाड़ी छानी को जोड़ने वाली यह पुलिया 9 गांवों की खेती किसानी की सहूलियत के लिए साल 1993 में कमल नदी पर बनाया गया था.
ग्रामीणों को नापनी पड़ती है अतिरिक्त दूरी:जिससे की सभी ग्रामीणों को अपनी नगदी फसलों को सड़क तक पहुंचाने सहित सभी कृषि कार्य करने के लिए काफी सहूलियत मिलने से ग्रामीणों को 7 किलोमीटर सड़क के फेर से छुटकारा भी मिल गया था. वहीं साल 2009 की आपदा में पुलिया बह कर बीच नदी में लटक गई. ग्रामीण बताते हैं कि जब नदी का जलस्तर कम होता है तो नदी को आर पार किया जा सकता है, जैसे ही बरसात शुरू होती है तो जल स्तर बढ़ जाने से खलाड़ी,चक चंदेली, हारकोट,चपटाड़ी,जोगियाडा, पुजेली,नेत्री,चन्देली आदि गांवों को लोगों को 7 किमी पुरोला गांव होते हुए या 5 किलोमीटर नेत्री गांव होते हुए खेतों तक पहुंचना पड़ता है.जिससे कि ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.