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बस्तर संभाग में आईजी और एसपी ने जवानों के साथ की शस्त्र पूजा

बस्तर में सुरक्षाबलों ने दशहरा के मौके पर शस्त्र पूजा किया. इस दौरान सभी जवान और अधिकारी के साथ उनके परिजन भी मौजूद थे.

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 5 hours ago

Updated : 1 hours ago

Shastra Puja on Dussehra
दशहरा पर शस्त्र पूजा (ETV Bharat)

बस्तर/ दंतेवाड़ा :पूरे देश में शनिवार को विजयादशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. विजयदशमी के मौके पर शस्त्रों की खास विधि से पूजा-अर्चना की जाती है. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में नक्सली मोर्चे पर तैनात सुरक्षाबलों के जवानों ने भी शनिवार को अपने अत्याधुनिक हथियारों की पूजा की. सुरक्षाबलों ने पूजा के बाद बलि के रूप में रखिया कुम्हड़ा की बलि दी. इसके साथ ही अधिकारियों ने बंदूक से सलामी भी दी. सुरक्षाबलों के लिए उनके शस्त्र काफी महत्वपूर्ण होते हैं. इन्हीं हथियारों की मदद से जवान माओवादियों पर प्रहार करते हैं.

बस्तर में शस्त्र पूजा:इस बारे में बस्तर आईजी सुन्दरराज पी ने कहा कि विजयादशमी के मौके पर संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के रक्षित केंद्र में शस्त्र पूजा आयोजित किया गया. इस अवसर पर पुलिस के सभी अधिकारी जवान और उनके परिजन मौजूद रहे. सभी ने मां दंतेश्वरी देवी का आशीर्वाद लिया. जैसे पहले बस्तर पर देवियों का आशीर्वाद रहा है. वैसे ही आगे भी बना रहे, जिससे बस्तर पुलिस निरंतर प्रगति करे और क्षेत्र में शांति और विकास को गति मिल सके.

बस्तर में सुरक्षाबलों ने की शस्त्र पूजा (ETV Bharat)

पूजा के बाद दी गई सलामी: बस्तर एसपी शलभ सिन्हा ने कहा कि विजयादशमी के मौके पर शस्त्र पूजा की गई. पूजा के बाद सलामी दी गई. साथ ही बस्तर के सभी लोगों के लिए विशेष पूजा-अर्चना कर सुख शांति का वरदान मांगा गया. इस दौरान सभी जवान और अधिकारी मौजूद रहे.

दंतेवाड़ा में शस्त्र पूजा:दंतेवाड़ा पुलिस लाइन में शनिवार को पारंपरिक तरीके से शस्त्र पूजा पूरी की गई. पुलिस अधीक्षक गौरव राय सहित दंतेवाड़ा पुलिस के सभी अधिकारियों ने इस शस्त्र पूजा में हिस्सा लिया. इस दौरान पुलिस अधीक्षक गौरव राय, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्मृतिक राजनाला, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दन्तेवाड़ा रामकुमार बर्मन सहित कई पुलिस अधिकारी मौजूद रहे.

दंतेवाड़ा में शस्त्र पूजा (ETV Bharat)

बता दें कि हर साल विजयादशमी के मौके पर शस्त्रों की पूजा की जाती है. पूजा के बाद शस्त्र को वापस उसके पहले स्थान पर रख दिया जाता है. ये प्रथा शुरू से ही चली आ रही है.

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