विदिशा में बंदूक के साये में भुजरिया पर्व, इस चीज पर निशाना लगाने की ग्रामीणों में होती है होड़ - Vidisha Bhujariya Unique Tradition - VIDISHA BHUJARIYA UNIQUE TRADITION
मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के एक गांव में बड़े ही दिलचस्प तरीके से भुजरिया का त्योहार मनाया जाता है. यहां बंदूक के साये में भुजरिया मनाया जाता है. ग्रामीणों के बीच निशानेबाजी की प्रतिस्पर्धा होती है. ग्रामीणों की माने तो यह परंपरा सदियों पुरानी है.
विदिशा में बंदूक के साये में भुजरिया पर्व (ETV Bharat)
विदिशा:भारत देश विविधताओं और संस्कृति का देश है. यहां अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों कई परंपराएं अलग-अलग तरीके से मनाई जाती हैं. इसी तरह मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की लटेरी तहसील में भी एक अनोखी परंपरा मनाई जाती है. ग्राम झूकरजोगी में भुजरियों का त्योहार दूसरे क्षेत्रों से अलग तरीके से मनाया जाता है. रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाए जाने वाले इस पर्व की पूरे देश भर में मनाने की अलग-अलग परंपराएं हैं. इस मौके पर झूकरजोगी गांव में भुजरियों को बंदूकों और हथियारों के साये में निकाला जाता है.
भुजरिया पर्व पर निशानेबाजी की परंपरा (ETV Bharat)
भुजरियां त्योहार पर निशानेबाजी का आयोजन
यहां रक्षाबंधन के दूसरे भुजरिया का त्योहार पर बंदूक धारियों के बीच निशानेबाजी की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन के दौरान बकायदा पुलिस बल की भी तैनाती की जाती है. एक तरफ महिलाओं का जन समूह भुजरियों को रखकर नाच गाने के साथ सामूहिक लहंगी नृत्य करती है, तो दूसरी ओर बंदूक की निशानेबाजी की धमक के बीच सारे गांव का अलग ही नजारा दिखाई पड़ता है.
इस परंपरा के बारे में गांव के बुजुर्ग कहते हैंकी 'यहां की भुजरिया तब तक उस स्थान से नहीं उठती, जब तक कि बंदूक से निकलने वाली गोली से दूर पेड़ के ऊपर बंधा हुआ नारियल ना टूट जाए. इस परम्परा को जीवित रखने के लिए कई बंदूकधारी निशानेबाज अपने-अपने निशानेबाजी की जोर आजमाइश करते हैं और नारियल को फोड़कर इस परंपरा को निभाते हैं. कहते हैं इस गांव की यह परम्परा सदियों से जारी है. सालो पहले गांव के लोग यह परंपरा हाथी घोड़े व ऊंटों पर बैठकर हथियारों के साथ परम्परा का निर्वहन करते थे, लेकिन संसाधनों के अभाव और समय के साथ-साथ इस परंपरा में बदलाव होते चले गए, फिर भी इस परंपरा को लोगों ने जीवित रखने का पूरा प्रयास किया है. आज भी इस परंपरा को निभाने के लिए बंदूक से निशानेबाजी की प्रतियोगिता लहंगी नृत्य के साथ इस परंपरा को निभाया जाता है.