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मकान की नींव खोदने से पहले जान लें ये जरूरी बात, वरना हो सकता है बड़ा नुकसान - Vastu Tips

Vastu Tips, किसी भी मकान के निर्माण में सबसे पहला काम नींव की खुदाई है. जिस तरह से पूरा मकान नींव पर टिका होता है, ठीक उसी प्रकार मकान में रहने वालों को मिलने वाला फल भी नींव की खुदाई व भूमि पूजन पर टिका होता है. नींव किसी घर की सबसे अहम चीज होती है. न केवल मजबूती के लिए, बल्कि घर की सुख-शांति और विकास के लिए भी जरूरी होती है.

Vastu Importance
वास्तु टिप्स (Etv Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 4, 2024, 8:25 AM IST

बीकानेर :घर बनवाना किसी सपने के पूरा होने से कम नहीं है. सपने का घर खुशियों से भरा रहे इसके लिए घर की नींव की खुदाई भी एक महत्वपूर्ण और जरूरी काम है. इसके लिए ज्योतिष गणना करते हुए मुहूर्त, घर की दिशा और वास्तु के नियम की पालना जरूरी होती है. प्रसिद्ध वास्तुविद राजेश व्यास बताते हैं कि नींव की खुदाई हमेशा पहले कोण और फिर दिशा से करें. नींव खुदाई से पूर्व भूमि पूजन करना बेहद जरूरी है. जब भी नींव की खुदाई करवाएं, उसमें कुछ चीजों को जरूर स्थापित करें और खुदाई और भराई की दिशा क्या होनी चाहिए इसका ध्यान रखें. वहीं, वास्तु के लिहाज से भी नींव में कुछ चीजें रखने का बहुत लाभ होता है तो आइए जानते हैं कि नींव की खुदाई के समय क्या-क्या चीजें जरूर होती हैं.

नींव खुदवाते समय दिशाओं का रखें ध्यान : नींव खुदवाने से पहले हमेशा भूमि पूजन करनी चाहिए. इसके बाद नींव की खुदाई से पहले दिशा और कोण का ध्यान देना जरूरी है. नींव की खुदाई हमेशा ईशान कोण से शुरू होनी चाहिए. ईशान के बाद आग्नेय कोण की खुदाई कराएं. इसी क्रम में वायव्य कोण, वायव्य कोण के बाद नैऋत्य कोण की खुदाई होनी चाहिए. कोणों की खुदाई के बाद दिशा का ध्यान दें. दिशा के लिए पहले पूर्व, उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में क्रम से खुदाई करनी चाहिए.

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नींव की भराई का भी जानें नियम :नींव की भराई जब भी कराएं वह नींव की खुदाई के विपरीत होना चाहिए. यानी सबसे पहले जहां नींव खोदी गई वहां से भराई न करें बल्कि सबसे अंत वाले से भराई शुरू करनी चाहिए. यानी सबसे पहले नैऋत्य कोण की भराई करें. उसके बाद क्रम से वायव्य, आग्नेय, ईशान की भराई करें. दिशाओं में पहले पश्चिम, उत्तर व पूर्व में क्रम से भराई करानी चाहिए.

नींव में इन चीजों को जरूर स्थापित करें :नींव पूजन के समय कुछ चीजें याद से इसमें स्थापित करानी चाहिए. इसमें एक छोटे कछुए के ऊपर चांदी या तांबे का कलश बनवा कर स्थापित करें. साथ ही चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा,कलश के अंदर लोहे की चार कील, हल्दी की पांच गांठें, पान के 11 पत्ते, तुलसी की 35 पत्तियां, मिट्टी के 11 दीपक, छोटे आकार के पांच औजार, 11 सिक्के, आटे की पंजीरी, फल, नारियल, गुड़, पांच चौकोर पत्थर, शहद, जनेऊ, राम-नाम पुस्तिका, पंच रत्न, पंच धातु रखना चाहिए. इसके बाद सारी सामग्री को कलश में रखकर कलश का मुख लाल कपड़े से बांधकर नींव में स्थापित कर दें.

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