रायपुर: ऐसा माना जाता है कि घर, ऑफिस, मंदिर या दुकान बनाते समय वास्तु का ध्यान रखने से सुख समृद्धि और खुशहाली आती है. इसलिए ईटीवी भारत ने ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी से खास बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने वास्तु के संबंध में महत्वपूर्ण बातें बताई है.
वास्तु शास्त्र में 8 दिशाओं का महत्व: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी बताते हैं, "वस्तु शब्द से ही 'वास्तु' बना है. भगवान विश्वकर्मा जी को वास्तु शास्त्र का जनक माना जाता है. वास्तु शास्त्र में चार प्रमुख दिशाएं और उनके बीच में चार कोणों का महत्व बताया गया है. वास्तु शास्त्र में आकाश पाताल को भी दिशा माना गया है. ऐसे में वास्तु शास्त्र में 8 दिशाएं मानी गई है."
पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के अनुसार, कोई भी निर्माण कार्य के दौरान इन दिशाओं का ध्यान रखें:
उत्तर दिशा: उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दशा मानी जाती है. इसलिए इस दिशा में धन से जुड़े कार्य होने चाहिए. इस दिशा में तिजोरी का खुलना बहुत ही शुभ माना जाता है. इसलिए घर और दुकान की तिजोरी को उत्तर दिशा में ही रखना चाहिए.
ईशान कोण:उत्तर पूर्व दिशा के बीच के कोण को ईशान कोण कहते हैं. इसके स्वामी रूद्र माने गए हैं. इसलिए इस दिशा में घर का मंदिर बनाना शुभ होता है.
पूर्व दिशा:वास्तु शास्त्र में पूर्व दिशा के स्वामी इंद्रदेव हैं. सूर्योदय के कारण यह दिशा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है. पूर्व दिशा को खुला और साफ रखना चाहिए. इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. पूर्व दिशा में वास्तु दोष होने से घर के लोगों में मानसिक तनाव और स्वास्थ्य संबंधी परेशानी आती है.