वाराणसी :पितृ पक्ष के अवसर पर काशी में लोग अपने पितरों को पिंडदान करने के लिए दूर-दूर से आते हैं. यहीं पर त्रिपिंडी स्थापित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. इसी के तहत एक संस्था द्वारा जिन बेटियों को जन्म के पहले कोख में मार दिया जाता है. उनकी आत्मा की शांति के लिए काशी में श्राद्ध कर्म कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के तहत अजन्मी 18 हजार बेटियों को आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई. संस्था का कहना है कि कोख में मारी गई बेटियों को जीने का अधिकार तो नहीं मिल सका, लेकिन उन्हें मोक्ष तो मिलना ही चाहिए.
गंगा तट के दशाश्वमेध घाट पर गर्भ में मारी गई बेटियों के मोक्ष की कामना लिए हुए आगमन सामाजिक संस्था के द्वारा वैदिक ग्रंथों में वर्णित परम्परा के अनुसार श्राद्ध कर्म और जल तर्पण कराया गया. संस्था प्रतिवर्ष पितृ पक्ष के मातृ नवमी को अजन्मी बेटियों का सनातन परंपरा और पुरे विधि विधान से श्राद्ध कर उनके मोक्ष की कामना करती है. गंगा तट पर मिट्टी के बनी वेदी पर 18 हजार पिंड निर्माण कर मंत्रों से आह्वान कर बारी बारी मृतक को प्रतीक स्वरूप स्थापित करने के बाद उनके मोक्ष की कामना की गई. पांच वैदिक ब्राह्मणों द्वारा उच्चारित वेद मंत्रों के बीच श्राद्धकर्ता संस्था के संस्थापक सचिव डॉ. संतोष ओझा ने 18 हजार बेटियों का पिंडदान और जल तर्पण के बाद ब्राह्मण भोजन के साथ आयोजन कराया.