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ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, दोबारा नदियों के रखे जाएं वैदिक नाम - नदियों के वैदिक नाम

ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर नदियों के वैदिक नाम (Vedic Names of Rivers) रखने की बात कही है. पत्र में जम्मू कश्मीर की नदियों के प्राचीन नामकरण पर विशेष जोर दिया गया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 21, 2024, 7:13 PM IST

वाराणसी : ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश की नदियों के लिए वैदिक नामों को पुनर्स्थापित करने की बात कही है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर की नदियों के प्राचीन नामकरण पर विशेष जोर दिया है.

नदियों के प्रस्तावित वैदिक नाम.


बता दें कि ज्योतिष्पीठ आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार आम्नाय पीठों में से एक है. शंकराचार्य ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में पवित्र नदियों के सर्वोपरि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित किया है. श्रीमद्भागवत महापुराण और ऋग्वेद जैसे पवित्र हिंदू धर्मग्रन्थों के उद्धरणों का हवाला देते हुए देशवासियों, प्रकृति और विरासत के लिए नदियों के महत्व के साथ-साथ उनके वैदिक नामों पर भी प्रकाश डाला है. इन पवित्र नदियों के नामों में हाल के बदलावों या विकृतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नरेन्द्र मोदी से उनकी वैदिक उपाधियों को बहाल करने की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय लेने के लिए आग्रह किया है.

पीएम मोदी को लिखा गया पत्र.

नदिशंकराचार्य वर्तमान में जम्मू और कश्मीर से बहने वाली नदियों के लिए वैदिक नामों की बहाली पर विशेष जोर देते हुए लिखते हैं. चिनाब के लिए 'असिक्नी', झेलम के लिए 'वितस्ता', रावी के लिए 'परुष्णी' और सिंधु के लिए 'सिन्धु. यहां यह कहना होगा कि वैदिक नदियां हमारे देशवासियों के मन-मस्तिष्क में एक पवित्र स्थान रखती हैं जो जीवन, संस्कृतियों और सभ्यताओं को बनाए रखने वाली जीवन रेखा के रूप में कार्य करती हैं. उनके वैदिक नाम सांस्कृतिक पहचान और प्रकृति के साथ आध्यात्मिक सम्बन्ध का सार दर्शाते हैं. वैदिक नामों के उच्चारण मात्र से व्यक्ति और समाज में पवित्रता, गौरव और सम्मान की भावना जागृत होती है.

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