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हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के दुधमटिया में वन महोत्सव मनाया गया, पेड़ों पर लाल धागा बांध रक्षा का लिया संकल्प

हजारीबाग के दुधमटिया जंगल में वन महोत्सव मनाया गया. इस दौरान लोगों ने पेड़ों पर लाल धागा बांध कर वनों की रक्षा का संकल्प लिया.

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 4 hours ago

Campaign To Save Trees In Hazaribag
पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधते ग्रामीण. (फोटो-ईटीवी भारत)

हजारीबाग:वनों को बचाने के उद्देश्य से हजारीबाग जिले के टाटीझरिया के दुधमटिया में वन महोत्सव मनाया जा रहा है. इसके तहत पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधकर वनों का संरक्षण का संकल्प लिया गया.वहीं इस दौरान कई कार्यक्रम का भी आयोजन किया है. जिसके माध्यम से लोगों को पेड़ों की कटाई रोकने और वनों का संरक्षण करने के प्रति जागरूक किया गया.

1999 से वन महोत्सव का हो रहा आयोजन

बताते चलें कि 1999 से हजारीबाग के टाटीझरिया में वन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. शिक्षक महादेव महतो की ओर से शुरू की गई पहल ने आज राज्य में अपनी पहचान बना ली है. टाटीझरिया के दुधमटिया जंगल से ही वृक्ष रक्षाबंधन की शुरुआत की गई थी. धीरे-धीरे रक्षाबंधन का कार्यक्रम कई राज्यों तक पहुंच चुका है.अब वृक्षों की रक्षा आम जनता करते हैं.

हजारीबाग में वन महोत्सव कार्यक्रम की जानकारी देते पर्यावरणविद. (वीडियो-ईटीवी भारत)

महादेव मंडल ने की थी मुहिम की शुरुआत

हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के दूधमटिया जंगल में 7 अक्टूबर को प्रत्येक वर्ष वन महोत्सव का आयोजन किया जाता है. वन महोत्सव के दौरान पेड़ों को रक्षासूत्र बांधने की परंपरा है. महादेव महतो नामक शिक्षक ने क्षेत्र में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकने के लिए अपने कुछ साथियों के साथ इस मुहिम की शुरुआत की थी. जिसमें गांव के लोगों को गीत गाकर जागरूक किया जाता था.

नाटक का मंचन कर पेड़ों की कटाई रोकने के लिए जागरूक करते बच्चे. (फोटो-ईटीवी भारत)

कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण वृक्षों का रक्षाबंधन करते हैं और यह कसम खाते हैं कि उस पेड़ की रक्षा करेंगे. अगर कोई काटने आएगा तो उसका विरोध किया जाएगा. महादेव महतो ने जिस परंपरा की शुरुआत की थी, वह आज गांव-गांव तक पहुंच गया है.

ग्रामीणों ने की वन देवी की पूजा

शिक्षक महादेव महतो ने वन रक्षा को पूजा से जोड़ा. वन देवी की पूजा की शुरुआत की गई .यह बताया गया कि वनदेवी ही वन की रक्षा करती हैं. वन देवी की पूजा करना हर ग्रामीण का दायित्व है. उनकी इस पहल का असर हुआ कि जिस जंगल में लकड़ी तस्करों का वर्चस्व हुआ करता था, उन्हें स्थान छोड़कर भागना पड़ा. आज दुधमटिया जंगल अपने प्रकृति सुंदरता के लिए पूरे राज्य भर में जाना जाता है.

दुधमटिया में वन महोत्सव कार्यक्रम के दौरान नृत्य करती महिलाएं. (फोटो-ईटीवी भारत)

यहां होता है पेड़ों का रक्षाबंधन

दुधमटिया में वन महोत्सव का आयोजन वन समिति, वन विभाग और ग्रामीणों के सहयोग से होता है. महोत्सव के दिन सबसे पहले वन देवी की पूजा की जाती है. इसके बाद रक्षाबंधन का कार्यक्रम शुरू किया जाता है. कार्यक्रम में हजारीबाग ही नहीं, बल्कि दूर-दराज से पर्यावरण प्रेमी भी पहुंचते हैं . लाल धागा या लाल कपड़े का टुकड़ा पेड़ों में बांधकर वृक्षों की रक्षा की सौगंध लेते हैं. इस दौरान कई कार्यक्रम का भी आयोजन किया जात है. साथ ही कार्यक्रम के दौरान वन विभाग की ओर से कई स्टाल भी लगाए जाते हैं. जहां प्रकृति , पेड़-पौधों की सुरक्षा के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है.

दुधमटिया में वन महोत्सव के दौरान नाटक का मंचन कर पेड़ों की कटाई रोकने के लिए जागरूक करते बच्चे. (फोटो-ईटीवी भारत)

मुहिम से कई जंगल उजड़ने से बचे

महादेव मंडल और उनके शिक्षक मित्रों की पहल के कारण कई जंगल उजड़ने से बच गए हैं. हजारीबाग जिले के टाटीझरिया प्रखंड के दूधमटिया वन महोत्सव कार्यक्रम लोगों को वनों की रक्षा के प्रति प्रेरित कर रहा है. जरूरत है समाज के हर एक व्यक्ति को वृक्षों की रक्षा करने की.

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