देहरादून:उत्तराखंडराज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में 10% क्षैतिज आरक्षण देने का प्रारूप तैयार कर दिया है. खास बात ये है कि धामी कैबिनेट ने मार्च महीने में इससे जुड़े प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी, जिसके बाद इससे जुड़ा बिल सदन में भी पास करवाया गया था. राज्यपाल की मंजूरी के बाद अब इसका प्रारूप भी जारी कर दिया गया है.
दरअसल, उत्तराखंड शासन ने राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण से जुड़ा प्रारूप जारी कर दिया है. हालांकि, सरकार ने विधानसभा में बिल पास करवाने के साथ ही अपनी मंशा स्पष्ट कर दी थी, लेकिन इसको लेकर शासन स्तर पर आदेश जारी नहीं हो पाया था. अब शासन ने इसका आदेश जारी कर इसका प्रारूप भी बना लिया है.
लंबे समय से राज्य आंदोलनकारी सरकारी सेवाओं में 10 फीसदी आरक्षण देने की मांग कर रहे थे. तमाम प्रदर्शनों के जरिए भी उन्होंने सरकार के सामने अपनी इस मांग को रखा था, लेकिन मामला कोर्ट में होने के कारण इसमें कई तरह की पेचीदगियां आ रही थी.
इसी को देखते हुए सरकार ने इसके लिए सदन में बिल पास करवाने का निर्णय लिया. खास बात ये है कि मामले में राज्यपाल की मंजूरी मिल चुकी है. साथ ही शासन से आदेश भी जारी हो चुका है. जबकि, अब आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को भी आरक्षण देने से जुड़ा प्रारूप जारी किया गया है.
पहली निर्वाचित एनडी तिवारी सरकार से शुरू हो गई थी इसकी शुरुआत:उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को आरक्षण व नौकरी देने की शुरुआत पहली निर्वाचित एनडी तिवारी सरकार से हो गई थी, तब 7 दिन तक जेल में रहने वालों आंदोलनकारियों को सीधे नौकरी देने का निर्णय लिया गया था. साथ ही 1 से 6 दिन तक जेल रहने वाले आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का आदेश भी जारी हुआ और इसपर आरक्षण भी मिलने लगा.
इसके बाद राज्य आंदोलनकारियों की मांग के अनुसार साल 2010 में सभी चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों को निशंक सरकार ने 10 क्षैतिज आरक्षण देने का निर्णय लिया और इसपर आदेश जारी कर दिया. साल 2011 में खंडूड़ी सरकार ने आंदोलनकारी आश्रितों को भी इसमें आरक्षण देने की व्यवस्था की.