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नैनीताल से हाईकोर्ट शिफ्ट करने को HC ने बताया आवश्यक, CS को जमीन बताने को कहा - Nainital High Court Shift - NAINITAL HIGH COURT SHIFT

Uttarakhand High Court Shift Matter उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल से हाईकोर्ट को शिफ्ट किया जाना आवश्यक बताया है. हाईकोर्ट ने व्यापक जनहित को आधार मानकर ये बात कही.हाईकोर्ट ने साथ ही इस मामले में उत्तराखंड के सीएस को एक महीने के अंदर हाईकोर्ट के लिए उचित स्थान बताने को कहा है.

Uttarakhand High Court Nainital
उत्तराखंड हाईकोर्ट नैनीताल (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 10, 2024, 7:40 PM IST

Updated : May 10, 2024, 8:36 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने व्यापक जनहित को आधार मानकर नैनीताल से हाईकोर्ट को शिफ्ट किया जाना आवश्यक बताया है. कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से एक माह के भीतर हाईकोर्ट के लिए उचित स्थान बताने को कहा है. साथ ही रजिस्ट्रार जनरल हाईकोर्ट को निर्देश दिए हैं कि वे एक पोर्टल बनाए. जिसमें अधिवक्ताओं व जनसामान्य के सुझाव लिए जाए कि वे नैनीताल से हाईकोर्ट शिफ्ट करने के पक्ष में हैं या नहीं? यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रितू बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जारी किए हैं. जिसमें कहा गया है कि गौलापार में जहां हाईकोर्ट के लिए जगह चिन्हित है, वहां 75 फीसदी वन भूमि है और घना जंगल है. वहां पेड़ काटने के बाद हाईकोर्ट की स्थापना उचित नहीं है. हाईकोर्ट इसके पक्ष में नहीं है.

हाईकोर्ट ने कहा है कि नैनीताल में वादकारियों और युवा अधिवक्ताओं को होने वाली कठिनाइयों, चिकित्सा सुविधाओं और कनेक्टिविटी की कमी के अलावा कोर्ट में 75% से अधिक मामलों में राज्य सरकार के पक्षकार होने और अधिकारियों,कर्मचारियों के नैनीताल हाईकोर्ट आने में टीए व डीए में होने वाले खर्च को देखते हुए उच्च न्यायालय को नैनीताल से स्थानांतरित करना आवश्यक है.

8 मई को आईडीपीएल ऋषिकेश से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव, उत्तराखंड राधा रतूड़ी व मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव आर के सुधांशु वी.सी. के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित हुए थे. जिन्हें हाईकोर्ट द्वारा नैनीताल से कोर्ट शिफ्ट करने की सूचना दी थी और उसी दिन दोपहर बाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व अधिवक्ताओं का पक्ष भी सुना गया. उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हाईकोर्ट को नैनीताल से स्थानांतरित करने के मुद्दे को शीघ्र निपटाने के लिए हाईकोर्ट ने एक प्रक्रिया तैयार की है.

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, उत्तराखंड सरकार को उच्च न्यायालय की स्थापना, न्यायाधीशों, न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए आवासीय आवास, कोर्ट रूम, कॉन्फ्रेंस हॉल, कम से कम 7,000 वकीलों के लिए चैंबर, कैंटीन, पार्किंग स्थल के लिए सबसे उपयुक्त भूमि का पता लगाने का निर्देश दिए गए हैं. जहां अच्छी चिकित्सा सुविधाएं और अच्छी कनेक्टिविटी हो. यह पूरी प्रक्रिया मुख्य सचिव द्वारा एक महीने के भीतर पूरी की जाएगी और मुख्य सचिव 7 जून 2024 तक अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंपेंगे.

कोर्ट ने कहा है कि प्रैक्टिस करने वाले वकीलों की राय भी बहुत आवश्यक है. इसलिए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को 14 मई 2024 तक एक पोर्टल खोलने का निर्देश दिया गया है. इस पोर्टल में अधिवक्ता यदि उच्च न्यायालय के स्थानांतरण के लिए इच्छुक हैं तो अपनी पसंद देने के लिए स्वतंत्र हैं, तो हां लिखेंगे. यदि वे रुचि नहीं रखते हैं तो अपनी नामांकन संख्या, तिथि और हस्ताक्षर दर्शाकर नहीं लिखेंगे. इसी तरह वादकारी भी इस पोर्टल में अपनी राय दे सकते हैं, जो 31 मई तक दी जानी आवश्यक है.

हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल उक्त आशय की सूचना को गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों सहित उत्तराखंड राज्य के पूरे क्षेत्र में व्यापक प्रसार वाले स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के भी निर्देश दिए हैं.इस मामले में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से भी जगह चिन्हित करने को कहा गया है. हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया है, जिसमें प्रमुख सचिव, विधायी और संसदीय कार्य, प्रमुख सचिव, गृह, दो वरिष्ठ अधिवक्ता, उत्तराखंड राज्य बार काउंसिल द्वारा नामित एक सदस्य, बार काउंसिल ऑफ इंडिया से अध्यक्ष और एक अन्य इसके सदस्य होंगे.

यह समिति संबंधित पक्षों की राय लेने के बाद 7 जून 2024 तक सीलबंद रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपेगी. इसके बाद हाईकोर्ट की स्थापना के लिए उपयुक्त भूमि के बारे में सरकार की सिफारिश और विकल्पों के परिणाम को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा. इस मामले की अगली सुनवाई 25 जून 2024 को होगी.

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Last Updated : May 10, 2024, 8:36 PM IST

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