उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

स्टोन क्रशर जुर्माना माफ मामला, HC ने सरकार को लगाई फटकार, कही ये बड़ी बात - Stone Crusher Fine Waiver Case

Stone Crusher Fine Waiver Case नैनीताल के स्टोन क्रशरों के अवैध खनन एवं भंडारण पर लगाए गए जुर्माना माफ मामले पर हाईकोर्ट ने सरकार को मौखिक रूप से कड़ी फटकार लगाई है.

Stone Crusher Fine Waiver Case
स्टोन क्रशर जुर्माना माफ मामले पर सुनवाई (FILE PHOTO ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 4, 2024, 10:23 PM IST

नैनीतालःउत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के 2016 से 2017 के बीच रहे जिलाधिकारी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान 18 स्टोन क्रशरों का अवैध खनन एवं भंडारण पर लगाए गए करीब 50 करोड़ से अधिक का जुर्माना माफ किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सचिव खनन से कहा है कि 30 सितंबर तक कोर्ट को बताएं कि 2016 से अब तक राज्य में संचालित स्टोन क्रशरों पर अवैध खनन एवं भंडारण पर कितना जुर्माना लगाया गया? इसकी रिपोर्ट समेत स्वयं कोर्ट में पेश हों.

पूर्व में कोर्ट ने सचिव खनन से आज पेश होने को कहा था. परंतु स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण वे पेश नहीं हो सके. उनकी जगह एडिशनल सेक्रेटरी लक्ष्मण सिंह पेश हुए. उनके द्वारा कहा गया कि सचिव खनन का स्वास्थ्य ठीक नहीं है. इसी कारण वे कोर्ट में पेश नहीं हो पाए. आज हुई सुनवाई पर कोर्ट ने सरकार से मौखिक तौर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, राज्य के जेलों की सुविधाओं के लिए सरकार के पास बजट नहीं है तो स्टोन क्रशरों का जुर्माना किस आधार पर माफ किया? कैदियों की ध्याडी भी ठीक से नहीं दी जा रही है.

सुनवाई पर याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया कि तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा इसी बिंदु पर 186 लोगों पर जुर्माना आरोपित किया गया. परंतु डीएम द्वारा 18 स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ किया, अन्य का क्यों नहीं? उनमें तो पल्लीदार, खच्चर और बेलचे वाले भी थे. जिनकी रोजी रोटी उसी से चलती थी.

ये है पूरा मामला: मामले के अनुसार सामाजिक कार्यकर्ता चोरगलिया नैनीताल निवासी भुवन पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि वर्ष 2016 -17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा कई स्टोन क्रशरों का अवैध खनन और भंडारण का जुर्माना करीब ₹50 करोड़ से अधिक माफ कर दिया. जिलाधिकारी ने उन्ही स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ किया, जिनपर जुर्माना करोड़ों में था. और जिनका जुर्माना कम था, उनका माफ नहीं किया. जब इसकी शिकायत मुख्य सचिव, सचिव खनन से की गई तो उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई. कहा गया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है.

जब याचिकाकर्ता द्वारा शासन से इसका लिखित रूप में जवाब मांगा तो आज की तिथि तक उन्हें इसका लिखित जवाब नहीं दिया गया. इसके बाद उनके द्वारा इसमें आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी गई कि जिलाधिकारी को किस नियमावली के तहत अवैध खनन और भंडारण पर लगे जुर्माने को माफ करने का अधिकार प्राप्त है? तो उत्तर में लोक सूचना अधिकारी औद्योगिक विभाग उत्तराखंड द्वारा कहा गया कि लोक प्राधिकार के अंतर्गत यह धारित नहीं है.

याचिका में प्रदेश के राजस्व की हानि का हवाला: जनहित याचिका में कहा गया कि जब लोक प्राधिकार में उक्त नियम धारित नहीं है तो जिलाधिकारी के द्वारा कैसे स्टोन क्रशरों पर लगे करोड़ रुपए का जुर्माना माफ कर दिया. फिर उनके द्वारा 2020 में चीफ सेक्रेटरी को शिकायत की और चीफ सेक्रेटरी ने औद्योगिक सचिव से इसकी जांच कराने को कहा. औद्योगिक सचिव ने जिला अधिकारी नैनीताल को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया. डीएम द्वारा इसकी जांच एसडीएम हल्द्वानी को सौंप दी, जो नहीं हुई. जबकि औद्योगिक विभाग के द्वारा 21 अक्टूबर 2020 को इसपर जांच आख्या प्रस्तुत करने को कहा था जो चार साल बीत जाने के बाद भी प्रस्तुत नहीं की गई. जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इस पर कार्रवाई की जाए. क्योंकि यह प्रदेश के राजस्व की हानि है.

ये भी पढ़ेंःस्टोन क्रशरों के 50 करोड़ के जुर्माना माफी मामले में सुनवाई, सचिव खनन को हाईकोर्ट में पेश होने के आदेश

ABOUT THE AUTHOR

...view details