देहरादून (धीरज सजवाण): उत्तराखंड के मैदानी इलाकों से लेकर पर्वतीय जिलों तक में तापमान पिछले 2 दिनों में तेजी से गिरा है. तापमान मैदानी इलाकों में भी रात को दहाई के आंकड़े से लुढ़कने लगा है. ऐसे में जहां पूरा राज्य शीत लहर की चपेट में है, तो वहीं ठंड से आमजन को समस्या न हो, उसको लेकर आपदा प्रबंधन ने भी कमर कस ली है.
पहाड़ से मैदान तक कड़ाके की ठंड: हिमालयी राज्य उत्तराखंड में अब शरद ऋतु अपना असर दिखाने लगी है. उत्तराखंड के पर्वतीय जिले ही नहीं बल्कि मैदानी इलाके भी अब कड़ाके की ठंड की चपेट में आ चुके हैं. देहरादून, हल्द्वानी जैसे महानगरों में भी रात को तापमान दहाई के आंकड़े से नीचे पहुंच रहा है. उत्तराखंड में पिछले दो दिनों में तापमान बहुत तेजी से नीचे गिरा है, जिसके चलते अब प्रदेश में शीत लहर चलनी शुरूहो गई है. तेजी से गिर रहे तापमान को देखते हुए उत्तराखंड आपदा प्रबंधन ने शीत लहर को लेकर एडवाइजरी जारी कर दी है.
आपदा प्रबंधन विभाग की तैयारी: आपदा प्रबंधन के सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि विभाग की यह कोशिश है कि कोई भी व्यक्ति कड़ाके की ठंड के स्थान में खुले में ना सोए. उसके लिए पूरी व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने बताया कि जिन स्थानों पर लोगों की आवाजाही ज्यादा है, वहां पर अलाव की व्यवस्था की जा रही है. साथ ही जो लोग खुले में सोने के लिए मजबूर हैं, उनके लिए रैन बसेरों के इंतजाम किए गए हैं.
शीत लहर से निपटने के लिए सभी जिलों को 10 लाख रुपए:सचिव आपदा प्रबंधन विभाग विनोद कुमार सुमन ने ईटीवी भारत से कहा कि सभी 13 जनपदों के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारियों के साथ शीत लहर से निपटने की तैयारियों के संबंध में बैठक की. उन्होंने कहा कि सभी जनपदों के अफसर यह सुनिश्चित कर लें कि रैन बसेरों की संख्या पर्याप्त है. यदि जरूरत महसूस हो, तो इनकी संख्या को बढ़ाया जाए. उन्होंने कहा कि रैन बसेरों में साफ सफाई के साथ ही आवश्यक वस्तुओं जैसे हीटर, पानी गर्म करने की रॉड, पर्याप्त संख्या में बिस्तर तथा कंबल आदि की व्यवस्था को सुनिश्चित किया जाए.
यात्रा स्टेशनों पर विशेष इंतजाम: विनोद सुमन ने कहा कि सभी शहरों के महत्वपूर्ण चौक चौराहों, बस तथा रेलवे स्टेशनों समेत अन्य स्थानों पर जहां रात को लोग रुकते हैं, वहां अलाव की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं. जनपदों के संबंधित विभागों को शीत लहर से निपटने के लिए 10-10 लाख रुपये की धनराशि जारी कर दी गई है. जनहित में इस धनराशि का उपयोग बेहतर ढंग से किया जाए, ताकि लोगों को ठंड के मौसम में राहत मिल सके.
बर्फबारी वाले क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश:ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए विभिन्न व्यावसायिक प्रतिष्ठानों तथा संस्थाओं को सीएसआर मद (Corporate social responsibility) से सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के साथ ही आम लोगों को भी प्रोत्साहित किया जाए कि वह जरूरतमंद लोगों के लिए गर्म कपड़े, कंबल तथा भोजन सामग्री इत्यादि दान करें. बर्फबारी वाले क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतने और वहां योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने के निर्देश शासन स्तर से दिए गए हैं.
दुर्गम स्थानों के लिए राशन का स्टॉक: सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि बर्फबारी के कारण जिन स्थानों में राशन पहुंचाना मुश्किल हो जाता है, वहां अगले दो से तीन माह का राशन स्टॉक कर लिया जाए. उन्होंने बर्फबारी के कारण अवरुद्ध होने वाले मार्गों को खोलने के लिए सभी उपकरण जैसे जेसीबी मशीन, पोकलैंड मशीन, स्नो कटर मशीन तथा बर्फ में फंसे वाहनों को निकालने के लिए चेन आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा. सुमन ने कहा कि पहाड़ों में पाले के कारण सड़कें बेहद खतरनाक हो जाती हैं, ऐसे में सड़क हादसों को रोकने के लिए पालाग्रस्त क्षेत्रों में सड़कों पर चूने तथा नमक का छिड़काव किया जाए. साइन बोर्ड लगाकर लोगों को संभावित खतरे के प्रति सचेत किया जाए.