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नेपाल में सत्ता परिवर्तन के बाद पंचेश्वर बांध परियोजना की खुली राह! पड़ोसी देश जाएगा डेलिगेशन - Pancheshwar Dam Project - PANCHESHWAR DAM PROJECT

Pancheshwar Dam Project in Pithoragarh उत्तराखंड के पड़ोसी देश नेपाल में मजबूत राजनीतिक सरकार आते ही पंचेश्वर बांध परियोजना को लेकर उम्मीद जग गई है. सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का कहना हबै कि इस संबंध में जल्द मुख्यमंत्री नेपाल सरकार से बात करेंगे. साथ ही एक डेलिगेशन नेपाल भी जाएगा.

Pancheshwar Dam Project Pithoragarh
पंचेश्वर बांध परियोजना (फोटो- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 31, 2024, 3:43 PM IST

Updated : Jul 31, 2024, 5:16 PM IST

जानकारी देते सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज (वीडियो- ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड के सीमांत पिथौरागढ़ जिले में नेपाल और भारत की बहुउद्देशीय पंचेश्वर बांध परियोजना को लेकर उम्मीदें बढ़ गई है. उत्तराखंड के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज की मानें तो नेपाल में एक मजबूत सरकार का गठन हो गया है. जिससे नेपाल और भारत की सीमाओं को बांटने वाली काली नदी पर तकरीबन 6,480 मेगावाट की प्रस्तावित पंचेश्वर जल विद्युत परियोजना को लेकर उम्मीद जग गई है. इसे लिए नेपाल सरकार से बात की जाएगी.

पंचेश्वर जल विद्युत परियोजना को जानिए:साल 1954 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पंचेश्वर बांध बनाए जाने की चर्चा की थी. तब से पंचेश्वर बांध पर लगातार चर्चा होती आई. इसके बाद साल 1996 में भारत और नेपाल के बीच एकीकृत महाकाली संधि(Mahakali Treaty 1996) हुई. जिसमें करीब 6000 मेगावाट की जल विद्युत पैदा करने के लिए पंचेश्वर बांध परियोजना निर्माण की परिकल्पना की गई.

यह बांध उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भारत-नेपाल सीमा पर काली नदी में बनने वाला एक बहुउद्देशीय जल विद्युत परियोजना है. इसे एक तट बांध के रूप में भी विकसित किए जाने की परियोजना है. पंचेश्वर जल विद्युत परियोजना भारत और नेपाल की एक संयुक्त बहुउद्देशीय परियोजना है, जिसमें दोनों सरकारों की बराबर भूमिका है. साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने इस बांध परियोजना पर युद्ध स्तर पर काम किया.

साल 2014 के बाद परियोजना को मिली बल: ऐसे में पंचेश्वर बांध परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए अगस्त 2014 में भारत और नेपाल सरकार की ओर से संयुक्त रूप से प्राधिकरण का गठन किया गया. हालांकि, इस बांध परियोजना को लेकर शुरुआत में दोनों तरफ से स्थानीय लोगों का विरोध भी देखा गया. इस बांध परियोजना की डीपीआर केंद्रीय संस्थान वॉटर एंड पावर कंसलटेंसी सर्विसेज लिमिटेड की ओर से तैयार की जा रही है.

बता दें कि भारत और नेपाल के बीच महाकाली नदी पर 5040 मेगावाट की पंचेश्वर बांध परियोजना प्रस्तावित है. जिसकी अनुमानित लागत करीब 50 हजार करोड़ रुपए है. इस परियोजना के तहत डाउनस्ट्रीम में 300 मीटर ऊंचे पंचेश्वर बांध और 95 मीटर ऊंचे रूपाली गाड़ बांध के निर्माण की परिकल्पना की गई है. मुख्य बांध पर 80 किमी का लंबा जलाशय भी बनाया जाना प्रस्तावित है.

संवेदनशील भूकंपीय इलाके में बनेगी 11,600 हेक्टेयर की झील: प्रस्तावित पंचेश्वर बांध परियोजना के अनुसार, पंचेश्वर मुख्य बांध के करीब 27 किलोमीटर नीचे रूपाली गाड़ में एक और बांध प्रस्तावित है. काली नदी के दोनों तरफ 240 मेगावाट क्षमता वाले दो अंडरग्राउंड पावर स्टेशन बनाए जाएंगे और मुख्य बांध तकरीबन 11,600 क्षेत्र की झील बनाएगी. इस बांध परियोजना के बनने के बाद नेपाल की तकरीबन 1 लाख 30 हजार हेक्टेयर भूमि और भारत की 2 लाख 40 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलेगी. इसके अलावा बाढ़ को भी नियंत्रित करने की सुविधा मिलेगी.

बता दें कि यह जल विद्युत परियोजना भूकंप जोन 5 में प्रस्तावित है और इस क्षेत्र में नेपाल के अलावा उत्तराखंड का अल्मोड़ा, चंपावत और पिथौरागढ़ जिले भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं. वहीं, इस जल विद्युत परियोजना के चलते उत्तराखंड के तीन जिले पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और चंपावत के तकरीबन 130 गांव प्रभावित होंगे. इस परियोजना के जद में 9,100 हेक्टेयर भूमि भी आएंगे. परियोजना के तहत भारत का डूब क्षेत्र 7,600 हेक्टेयर होगा तो वहीं नेपाल का डूब क्षेत्र 4,000 हेक्टेयर होगा.

जल्द उत्तराखंड सरकार का डेलिगेशन जाएगा नेपाल: नेपाल में सरकार के पुनर्गठन के बाद भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार पंचेश्वर जल विद्युत परियोजना को लेकर के बेहद आशान्वित हैं. उत्तराखंड के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि इस संबंध में जल्द ही उत्तराखंड सरकार नेपाल सरकार से बातचीत करेगी. सिंचाई मंत्री के साथ मुख्यमंत्री भी नेपाल दौरे पर जाएंगे. जहां पर पंचेश्वर जल विद्युत परियोजना को लेकर के चर्चा की जाएगी और निकट भविष्य में इस परियोजना को पंख लगेंगे.

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Last Updated : Jul 31, 2024, 5:16 PM IST

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