देहरादून:प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर बनी प्रवर समिति का कार्यकाल 1 महीने के लिए और बढ़ा दिया गया है. इस पर कांग्रेस पार्टी का कहना है कि भाजपा सरकार को निगम चुनाव में अपनी हार का डर साफ नजर आ रहा है. इसी वजह से एक बार फिर से सरकार ने उत्तराखंड में (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959) संशोधन विधेयक 2024 पर गठित प्रवर समिति के कार्यकाल को फिर बढ़ा दिया है.
प्रवर समिति का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर साधा निशाना, भाजपा ने किया पलटवार - CIVIC ELECTIONS UTTARAKHAND
प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है. मामले को लेकर कांग्रेस मुखर है.
By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Oct 12, 2024, 11:57 AM IST
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य आंदोलनकारी वीरेंद्र पोखरियालका कहना है कि सरकार पहले परिसीमन के बहाने तो कभी जातीय जनगणना तो कभी पिछड़े वर्ग के आरक्षण के बहाने निकाय चुनाव को टालती आ रही है. अब एक बार फिर विधानसभा की प्रवर समिति का कार्यकाल 1 महीने और बढ़ाये जाने से यह प्रतीत होता है कि सरकार निकाय चुनाव कराने से पीछे हट रही है. उन्होंने कहा कि देहरादून स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं, लोग अपने वार्डों की समस्याओं से परेशान हैं. लेकिन लगता है कि फिर एक बार चुनावों को टालने का बहाना सरकार तलाश रही है.
वीरेंद्र पोखरियाल के इन आरोपों का भाजपा ने खंडन किया है. भाजपा केराजपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक खजान दास का कहना है कि ओबीसी को लेकर विधायकों ने चिंताएं व्यक्त की है. क्योंकि इसको लेकर जो रैपिड सर्वे किया गया है, उसमें यह सामने आया कि किसको ओबीसी माना जाए. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली या फिर अन्य प्रदेशों से आये लोगों को ओबीसी माना जाए या फिर नहीं माना जाए. लेकिन ओबीसी एक ही राज्य का माना जाएगा. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश का ओबीसी यहां नहीं माना जाएगा, इसलिए इसको लेकर गहन चिंतन की आवश्यकता है. प्रवर समिति आगे इस पर विचार करेगी और जो ठीक समझेगी उसी के अनुरूप निर्णय लेगी.
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