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लोकसभा की लीड निकाय चुनाव में रिपीट होने से मिला जनादेश, कोरबा में खत्म हुआ भाजपा के 10 साल का सूखा - URBAN BODY POLL RESULTS IN CG

कोरबा में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिली है. जिले में कुल 6 में से 5 निकाय में बीजेपी की सरकार बन गई.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 15, 2025, 11:04 PM IST

Updated : Feb 16, 2025, 9:48 AM IST

कोरबा: छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय चुनाव में ऊर्जाधानी कोरबा में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है. जिले के 6 निकायों में कटघोरा को छोड़कर सभी 5 में बीजेपी ने शहर की सरकार बना ली है. सबसे अधिक चर्चा नगर पालिक निगम कोरबा के चुनाव परिणाम को लेकर है. 10 साल बाद बीजेपी का सूखा समाप्त हुआ है और सत्ता में वापसी हुई है. नगर निगम कोरबा में 10 साल तक कांग्रेस की सत्ता थी. नगर निगम कोरबा के लिए यह महापौर का छठवां चुनाव था. अब तक हुए किसी भी चुनाव में भाजपा के महापौर ने इतनी बड़ी लीड के साथ चुनाव नहीं जीता है. जीत का अंतर हमेशा काफी करीबी रहता था, लेकिन इस बार बीजेपी की संजू देवी राजपूत ने 48000 वोट से लीड लेकर रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की है.

क्या लोकसभा चुनाव की लीड आई काम ?: पिछली बार कोरबा जिले में जब लोकसभा का चुनाव हुआ था, तब सरोज पांडे कांग्रेस की ज्योत्सना महंत से जरूर हार गई थी, लेकिन उन्होंने कोरबा विधानसभा से 50 हज़ार मतों की लीड बनाई थी. सबके मन में यह सवाल था कि यह लीड निकाय चुनाव में रिपीट होगी या फिर नगर पालिक निगम कोरबा के पूर्व के चुनावो की तरह कांटे की टक्कर रहेगी. परिणाम आने के बाद अब यह स्पष्ट हो चुका है कि लोकसभा चुनाव के लिए जिन लोगों ने लोकसभा के चुनाव में भाजपा को मतदान किया था, उन सभी ने इस बार भी भाजपा पर भरोसा जताया.

कोरबा निकाय चुनाव में बीजेपी का परचम (ETV BHARAT)

बीजेपी के 45 पार्षदों की जीत: नगर पालिक निगम कोरबा के कुल 67 वार्डों में महापौर की प्रचंड जीत के साथ ही पार्षदों ने भी ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. कुल 67 में से 45 पार्षद बीजेपी के जीत कर आए हैं. कांग्रेस 11 सीटों पर सिमट गई है. जबकि 11 निर्दलीय पार्षद भी जीते हैं.

बीजेपी कार्यकर्ताओं में उत्साह (ETV BHARAT)

बीजेपी की जीत के पांच बड़े कारण

  1. आमतौर पर गुटों में बंटी भाजपा के नेताओं में इस निकाय चुनाव में एकजुटता दिखी. अन्य चुनावों के मुकाबले इस बार पार्टी में गुटबाजी काफी कम दिखी.
  2. कोरबा विधायक और कैबिनेट मंत्री लखन लाल देवांगन, उनके भाई नरेंद्र देवांगन, पूर्व मेयर जोगेश लांबा, प्रदेश कार्य समिति विकास महतो ने अलग-अलग सभाएं की, जिन्होंने दूर-दूर तक फैले नगर पालिक निगम के कोरबा के हर क्षेत्र को कवर किया.
  3. टिकट मिलते ही भाजपा प्रत्याशी संजू देवी राजपूत ने तत्काल प्रचार किया शुरू कर दिया. सोशल मीडिया पर एक टीम तैयार की. रोज के टारगेटेड पोस्ट, सर्वमंगला मंदिर से पूजा कर प्रचार में निकलने की आदत को प्रचारित किया, पूजा करते हुए फोटो वायरल कर हिंदुत्व का भी संदेश दिया. पूर्वांचल बैकग्राउंड होने के बावजूद खुद को छत्तीसगढ़ की बेटी बताया. जिसे जनता ने स्वीकार किया
  4. कांग्रेस के 10 साल के नगर पालिका निगम में राज के कारण पैदा हुई एंटी इनकंबेंसी को भाजपा ने खूब भुनाया, भाजपा नेताओं ने वार्ड-वार्ड जाकर कांग्रेस की खामियों, रुके हुए विकास के काम को बढ़ा-चढ़ा कर बताया.
  5. संजू का प्रचार करने स्टार प्रचारक के तौर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कोरबा शहर में सभा की. भाजपा के जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाया. सभा में संजू को वोट देने की अपील की, महतारी वंदन जैसी योजना का खूब प्रचार हुआ.
कोरबा निकाय चुनाव (ETV BHARAT)

कांग्रेस के हार के पांच बड़े कारण

  1. संगठन के तौर पर कांग्रेस का कोई काम जमीन पर नजर नहीं आया. टिकट मिलने के बाद से ही उषा तिवारी अलग-थलग दिखीं, बड़े नेताओं में एकजुटता नहीं दिखी.
  2. उषा तिवारी ने टिकट की घोषणा होने के दो-तीन दिन बाद तक प्रचार शुरू नहीं किया. शुरू के कुछ दिन वह बैठी रहीं, इसके बाद प्रचार शुरू किया. तब तक भाजपा प्रत्याशी संजू देवी 10 से 15 वार्ड कवर कर चुकी थी. भाजपा का एक बड़ा कार्यालय शहर के बीचों बीच खुल चुका था. कभी भी ऐसा नहीं लगा कि उषा पूरे दम से चुनाव लड़ रही हैं. जबकि 2014 में जब उषा ने कांग्रेस से बगावत का निर्दलीय महापौर का चुनाव लड़ा था. तब अधिक दम दिखाया था.
  3. कोरबा लोकसभा में कांग्रेस की सांसद ज्योत्सना मौजूद हैं. उषा से करीबी होने के बावजूद भी वह प्रचार के लिए जमीन पर नहीं उतरीं, प्रचार किया जरूर लेकिन वह जनता तक पहुंच नहीं पाई. कोरबा में कांग्रेसी सांसद होने का उषा तिवारी को कोई फायदा नहीं मिला. नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत हो या पूर्व मंत्री.
  4. धरातल पर उनकी सक्रियता नहीं दिखी. नगर पालिका निगम कोरबा में 5 साल कांग्रेस के राजकिशोर प्रसाद मेंयर रहे, उनकी एंटी इंकाबेंसी और कमजोर छवि ने उषा तिवारी को नुकसान पहुंचा. उषा तिवारी ने भी पूर्व मेयर राजकिशोर प्रसाद से दूरी बनाई, यह भी जनता को नजर आया.
  5. कोरबा जिले में नगर पालिक निगम का चुनाव जीतने कांग्रेस का कोई स्टार प्रचारक प्रचार करने नहीं आया, एक भी बड़ी सभा नहीं हुई. पार्टी के बैनर, झंडे, पोस्टर भी सीमित तादात में रहे. सोशल मीडिया में उपस्थित कमजोर रही. मीडिया मैनेजमेंट भी काफी कमजोर रहा. यह सभी हार का कारण बने

मुझे लगता है कि ईवीएम मशीनों को भी महाकुंभ में नहलाया गया है. जिसके कारण यह परिणाम आए हैं. कोरबा में भाजपा की लहर चल रही थी ऐसा प्रतीत हो रहा है. कांग्रेस ने काफी मजबूती से यह चुनाव लड़ा है, हालांकि अधिकांश बीजेपी पार्षदों ने भी जीत दर्ज की है. निचली बस्तियों में जहां आदिवासियों की संख्या अधिक है. वहां कांग्रेस बेहतर स्थिति में है : सुरेंद्र जायसवाल, कांग्रेस जिलाध्यक्ष

बीजेपी ने कांग्रेस पर कुशासन का लगाया आरोप: कांग्रेस के 5 साल के कुशासन का खूब प्रचार किया जिस पर जनता ने मुहर लगाई. कांग्रेस के शासनकाल में नगर पालिक निगम में कोरबा में भाजपा की ओर से विपक्ष के नेता हितानंद अग्रवाल थे. जो इस बार भी चुनाव जीत गए. उन्होंने कहा कि" पिछले 5 साल से नगर पालिक निगम कोरबा में कांग्रेस के भ्रष्ट मेयर थे. जिनके कुशासन और भ्रष्टाचार में लिप्त कार्यशैली को हमने जनता के बीच जोर-शोर से प्रचारित किया. विकास के जो काम अधूरे हैं. उससे जनता को अवगत कराया. जनता ने भी इस बात को समझा और हमारे प्रयासों का लाभ पार्टी को मिला है. संजू देवी महापौर बनने जा रही है. अब हम निगम की सरकार चलाएंगे."

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Last Updated : Feb 16, 2025, 9:48 AM IST

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