लखनऊ :उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पिछले 10 साल में भारतीय जनता पार्टी लगातार जीत हासिल कर रही थी लेकिन, 2024 के लोकसभा चुनाव ने मानो उसे नींद से जगा दिया. बीजेपी का दस साल में सबसे खराब प्रदर्शन रहा. पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में भाजपा का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा. पार्टी के भीतर गुटबाजी भी सामने आई. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच खटपट बनी रही, जिसके नतीजे में केंद्रीय नेतृत्व को दखल देना पड़ा. आखिरकार साल के आखिर में उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी को उपचुनाव की सफलता से कुछ राहत जरूर मिली.
दस साल तक अजेय रही:उत्तर प्रदेश बीजेपी में साल 2024 में अभूतपूर्व रहा. पिछले 10 साल से बीजेपी यूपी अजेय थी. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गठबंधन के साथ 73 सीटें जीती थीं. जिसके पास साल 2017 की विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ कल 325 विधानसभा सीट जीतीं. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन होने के बावजूद बीजेपी ने 64 लोकसभा सीट अपने सहयोगियों के साथ हासिल की थीं. उसके बाद अगला चुनाव साल 2022 का विधानसभा चुनाव था. यहां भी बीजेपी ने अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए अपने गठबंधन के साथ 275 विधानसभा सीट हासिल की थीं. इन मुख्य चुनाव के अलावा कहीं निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव भी जीते थे.
2024 में लगा पार्टी को झटका:मगर जब लोकसभा चुनाव 2024 आया तो पार्टी का भाग्य बदलता हुआ नजर आया. ऐसे बदला साल 2024 में बीजेपी का भाग्य लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन ने राज्य की 80 में से 43 सीटों पर जीत दर्ज की थी.वहीं बीजेपी के नेतत्व वाले एनडीए के हिस्से में केवल 36 सीटें आई थीं.एनडीए ने 2019 के चुनाव में 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस हार के बाद उत्तर प्रदेश बीजेपी ने 15 पेज की एक विस्तृत रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को भेजी थी. पार्टी के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए करीब 40 हजार लोगों की राय ली गई थी .इस दौरान अयोध्या और अमेठी जैसे प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया था.
खराब प्रदर्शन के छह कारण:प्रदेश बीजेपी की रिपोर्ट में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए छह बुनियादी कारणों की पहचान की गई है. इनमें कथित प्रशासनिक मनमानी, कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष, बार-बार पेपर लीक और सरकारी पदों पर संविदा कर्मियों की नियुक्ति शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि संविदा पर होने वाली नियुक्तियों ने विपक्ष की ओर आरक्षण को लेकर खड़े किए गए नैरेटिव को और बल दिया. यही नहीं, खराब टिकट वितरण भी बहुत बड़ा कारण था. कई जगह टिकट बदलने की डिमांड थी मगर पार्टी ने पुराने नेताओं को ही टिकट दे दिया. जिसकी वजह से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा.
यूपी उपचुनाव में मिली जीत से बढ़ा मनोबल:यूपी उपचुनाव में भाजपा गठबंधन की भारी जीत हुई है. भाजपा गठबंधन ने नौ में से सात सीटें जीत ली हैं. सपा को केवल दो सीटें मिली हैं. सपा कानपुर की सीसामऊ और मैनपुरी की करहल सीट बचाने में कामयाब हुई. सीसामऊ से सपा की नसीम सोलंकी, करहल से सपा के तेज प्रताप यादव जीते. खैर से भाजपा के सुरेंद्रर दिलेर, गाजियाबाद से भाजपा के संजीव शर्मा और मीरापुर से रालोद की मिथलेश पाल ने जीत दर्ज की. मझवां में भाजपा की सुचिस्मिता और फूलपुर में दिलीप पटेल ने जीत हासिल की. कटेहरी में भाजपा के धर्मराज ने जीत हासिल की है. कुंदरकी में भाजपा के रामवीर सिंह ने जीत हासिल की है.